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________________ ( १० ) २८ भने सिंह - जसवंत सिंह के पौत्र थे । इनके समय में देरावर आदि कुछ प्रदेश राज्य से निकल गये थे। इनके समय में जैसलमेर में टकसाल स्थापित हुई थी और वह मुद्रा 'अखेशाही' नाम से अभी तक प्रसिद्ध है। राज्यकाल सं० २००८ - १८१८ (६० १०२२ - २०६२) । ३६ मूलराज ( २ ) - अबे सिंह के ज्येष्ठ पुत्र थे। सं० १८१८ (६० २०६२) में गद्दी पर बैठे और दोघं काल तक ५८ वर्ष राज्य किये। इनके समय की विशेष उल्लेखयोग्य घटना यह है कि सं० १८१४ में इनके पिता के समग्र पलासी युद्ध के पश्चात् अंगरेज राज्याधिकार और शान बढ़ता रहा और वे लोग दिल्ली सिंहासन पर पूर्ण अधिकार जमा कर ईष्ट इंडिया कम्पनी की ओर से देशी राजाओं से मैत्री स्थापन करते हुए राज्य विस्तार करना आरम्भ किया। जयपुर, जोधपुर, बीकानेर आदि के राजाओं से सन्धि होने के पश्चात् सं० १८७४ (६० १८१८) में इनके समय में जैसलमेर का सन्धिपत्र लिखा गया और दो वर्ष के बाद ही सं० १८०६ (६० १८२० ) मैं इनका स्वर्गवास हुआ इनके समय में ओसवाल न्यात की पंचायती के कायदे बने थे जो अभी तक प्रचलित हैं। ये विद्वान् और साहित्य प्रेमी थे और स्वयं भी ज्योतिष आदि के कई अन्य रचना किये थे ! विद्वान होने पर भी राजनीति कुशल नहीं थे । गद्दी पर बैठने के पश्चात् प्रथम इनके अमात्य मेहता स्वरूप सिंह के पूर्ण अधीमता में रहे और प्रकाश्य दरबार में उनके मारे जाने के बाद उनके पुत्र मेहता शालिम सिंह के वश में उसी प्रकार रह कर राज्य किये जुल्मी थे। इनके अत्याचार से समस्त राज्य की प्रजा दुखी रहतो थी राज्य के प्रधान २ सामंतो के साथ इन्होंने किस प्रकार नृशंस व्यवहार । मेहता शालिम सिंह बहुत युवराज से लेकर समस्त और स्वार्थ सिद्धि के लिये * व्यासजो अपने इतिहास में इनको जगत सिंह के द्वितीय पुत्र लिखे हैं । डाड साहेद इनको प्रथम पुत्र लिखते हैं परन्तु यह संभव नहीं है कारण ये प्रथम पुत्र होते तो बुध सिंह के पहले ही राज्याधिकारी होते व्यासजी इनकी राज्य प्राप्ति सवाई सिंह के स्थान पर सं० १७७० में विना किसी प्रकार के उपद्रव के लिखते हैं परन्तु टाड साहेब के इतिहास में लिखा है कि तेज सिंह के पश्चात् इनके तीन वर्ष के लड़के सवाई सिंह के गद्दी बैठने पर अ सिंह इनको मार कर स्वयं सिंहासन पर बैठे और यही घटना अधिक संभव मालूम पड़ती है । अ सिंह का राज्यकाल व्यासजी सं० १८१८ तक लिखकर ३२ वर्ष बताते है। इतिहास के ग्रन्थ में गणना का इस प्रकार भ्रम नहीं होना चाहिये। सं० २००० से १८१८ तक ४८ वर्ष होते हैं। बुध सिंह के राज्य का शिलालेख ( नं० २५०१ ) स्पष्ट है । पश्चात् तेज सिंह और इनके पुत्र वर्षो तक राज्य में नाना प्रकार अशांति रही, यह भो इतिहास से प्रकट है। अतः अ गद्दी बैठना संभव नहीं । संवत् १७८१ के पूर्व का इनके समय का कोई लेख मिला के ग्रन्थों में इनका राज्यकाल ई० १०२२-१७६२ तक ४० वर्ष दिखा है। सं० २०६६ का सवाई सिंह के समय में सिंह का सं० १७०० में पाश्चात्य विद्वानों नहीं । "Aho Shrut Gyanam";
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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