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________________ परम पूज्य परमात्मा की कृपा से जैन और जैनेतर इतिहास प्रेमी सज्जनों के सम्मुख जेसलमेर और उसके निकटवत्तों स्थानों के जेन लेखों का संग्रह उपस्थित करने का आज मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है । जैन लेख संग्रह द्वितीय खंड की भूमिका में मैंने सूचित किया था कि जैसलमेर के लेखों को शीघ्र ही प्रकाशित करूंगा, परंतु ऐसो आशा नहीं थो कि इतने अल्प समय में यह छप कर तैयार हो सकेगा। कुछ दिनों से मेरे नेत्रों में पीड़ा और स्वास्थ्य भंग होने के कारण इस संग्रह को यथाशक्ति शीघ्रता के साथ प्रकाशित करने को प्रवल आकांक्षा हुई । यही कारण है कि दो वर्ष व्यतीत होने के पूर्व ही आज यह खंड तैयार हुआ है । यदि भन्यान्य साधन अनुकूल रहा तो आगामो खंड में 'मथुरा' आदि के प्राचीन जेन लेखों का संग्रह भो सदृदय पाठकों के करकमलों में अर्पित करने की इच्छा है ! मैं चाल्यावधि से जैसलमेर के नाम से परिविन था! जैन प्रतिमाओं को संख्या की अधिकता के कारण जैसलमेर का नाम तीर्थ स्थानों की गणना में है । ताडपत्र के प्राचीन जेन अन्यों के संग्रह के कारण भा यहां का भंडार विशेष उल्लेखयोग्य है। जैसलमेर से पश्चिम इस माइल पर 'लोद्रपुर' नामका एक प्राचोन विशाल पत्तन था और वहां के श्रीपार्श्वनाथखामो का जिनालय भी बहुत काल से प्रसिद्ध था । विक्रम प्रयोदश शताब्दि में लोद्रपुर विध्वंस होने के सपर वह मंदिर नष्ट हो गया होगा और संभव है कि उसी स्थान पर विक्रम सप्तदश शताब्दि में सेठ थाहरू साह भणशालो ने वर्तमान मंदिर बनवाया है। जैसलमेर के ताड़पत्रों के जैन-ग्रन्थों के संग्रह को विशेष प्रसिद्धि के कारण ई. १८७३ में पाश्चात्य विद्वानों में से डाक्टर बुलर साहे। उक भंडार निरीक्षण करने के लिए वहां प्रथर गये थे और आपके साथ डाक्टर हारमेन जे कोदो भो थे। इस दौरे का हाल 'इंडियन एस्टिक्वेरो' नामक पत्र में जो प्रकाशित हुआ था उसका कुछ अंश अन्यत्र प्रकाशित किया गया है । पश्चात् लगभग ३० वर्ष बाद डाक्टर आर० जी० भण्डारकर साहेब के सुपुत्र स्वर्गीय एस. आर० भण्डार कर, एना, ए., वहां पधारे थे । आप ई० १६०४.२५, १९०५.०६ के अपने रिपोर्ट में वहां के भंडार को सूवी और संक्षिप्त विवरण के साथ जैन मंदिरों के कई लेखों के कुछ आवश्यकीय अंश प्रकाशित किये । उस पर आपके ऐतिहाधिक विवेवन जो उक्त रिपोर्ट में छपे है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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