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________________ [२४] श्रीश्रार्यधर्म (श्रीआर्यहस्ति के शिष्य ) श्रीसिंह (श्रीआर्यधर्म के शिष्य) श्रीआर्यधर्म (श्रीसिंह के शिष्य) श्रीसंडिल ३ (श्रीआर्यधर्म के शिष्य ) श्रीधरुतकण्ह १ श्रीधार्यजंबु श्रीआर्यनंदि३ श्रोष्यगणि ४ श्रीस्थिरगुप्ति दमाश्रमण ५ श्रीकुमारधर्म ६ * श्री देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण 9 Qu ------- -. ......--.-.-.----- * फिसी २ पट्टावली में इस नाम के स्थान में 'आर्यपम' है। नोट:--'श्रीआर्यधर्म के शिष्य 'श्रीसंडिल्ल' के नाम के नीचे ८३' अङ्क खुदे हैं। इनके बाद 'श्रीइंद्रस्तकण्ह' से लेकर 'श्रीदेवर्द्धिगणि' तक जो सात नाम हैं इनके नामों के साथ १ --७ यथाक्रम है और 'श्रीदेवद्धिगणि' के नाम के साथ १० अङ्क भी खुदे हुये हैं। श्रीभन्दाहु स्वामी के शिष्य श्रीसोमदत्त के चरणों के दाहिने तरफ नंद्यावर्त के नीचे जो पांच भक्षर खुदे हैं उनके भावार्थ समझ में नहीं आने के कारण यहां उल्लेख नहीं किया गया। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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