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________________ [ १६५] [2551] ॥ संवत् १५७१ वर्षे वैशाख ३० १३ शुक्रे श्रीश्रीमान जातीय मोरी बासा नाय लोलू सुत श्रेण जीवा जेसंग हरपा लाषा जेसिंग ना जसमादे अात्मश्रेयसे श्रीजीवतस्वामि श्रीचंद्रप्रजस्वामि विंवं कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीनागेंड गजे श्रीगुणरत्नसूरिभिः ॥ मांडलि वास्तव्य ॥ [2552] सं० १६७५ वर्षे वैशाख सुदि १३ शुके फोफलिया गोत्रे जेठा पुत्र धरमसी पुत्र धनजी युन नार्या लाडोदे नार्या पांची । पुत्र रतनसी केन का० श्रीपार्श्वनाथ विंबं प्रतिष्ठितं श्रीजिनराजसूरिनिः खरतरगल्छे । चौबीसी पर। [2553] सं० १५०३ वर्षे पौष सु० १५ गुरू सरसापत्तन वास्तव्य बोलवाल ज्ञातीय सं० वस्ता नार्या लकी सुत वीधा सुद्दड़ा मेघराजेन हंसराज श्रीरंग सुत लोजा जीवराजादि कुटुम्ब युतेन स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथ चतुर्विंशतिपट्टः कारितं प्रतिष्ठितं तपागबनायक श्रीजयचंप्रसूरिनिः ॥ शुनं जवतु ॥ श्रीः ॥ [2554] सं० १५१७ वर्षे चैत्र वदि ७ शुके श्रीश्रीमाल झातीय श्रेष्ठि जीमसीह नाप शणी श्रेयसे सुत वरसाकेन जा रानू पुत्र माणिक सहितेन आत्मश्रेयोर्थः श्रीविमलनाथ चतु. विशतिपट्ट का पिप्पलग श्रीविजयदेवसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं श्रीशालिनजसूरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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