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________________ [१४२] राज्ये सा धणपति इत्यादि पुत्रपौत्रादि सत्परिवार सहितेन सा नगराज सुश्राव केण श्रीखरतरगचे श्रीजिनजप्रसूरियुगवर शिष्यः श्रीजिनचंप्रसूरिनिः ॥ पंचतीर्थयों पर। [2527] है सं० १५३४ वर्षे श्राषाढ़ सुदि नौमे श्रोशवंशे चांपशाषायां सा नेता नाण श्रा० धानी स्वपुण्यार्थ श्रीआदिनायविं कारित प्रा श्रीमखधारिगछे श्रीगुपनिर्मल सूरिनिः। [2528] सं। १५३६ फा० सु० ३ ऊकेशवंशे जण बांधु संताने नए माहा जाए कबू पुत्र नए इराकेन ला न्यमादे पुत्र हर्षा रामा मा नर नमादि परिण युतेन श्री. अजितनाथबिंबं का प्र श्रीखर श्रीजिनजप्रसूरिपट्टे श्रोजिनचं सूरिजिः ॥ यक्षमूर्ति पर। [2529] ॥ श्रीपार्श्वयमूर्ति प्रतिष्ठिता ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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