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________________ (२) प्रतिष्ठितं श्रीमत् श्रीखरतरगचे श्रीजिनेश्वरसूरिसंताने श्रीजिनकुशससूरि श्रीजिनपद्मसूरि श्रीजिनसब्धिसूरि श्रोजिनराजसूरि श्रीजिनलप्रसूरिपट्टे श्री. जिनचंद्रसूरि शिष्य (३) श्रीजिनसमुप्रसूरि प्रमुख सहितः श्रीदेवकर्ण राज्ये ॥ श्री महावीरस्वामी का मंदिर । शिलालेख। [2410] + ॐ सं० १४७३ वर्षे सं० कोहट सा देवदत्त उसजवन धामा कान्हा जीवेद जगमाल स० कपूरी मान्दणदे कर्मी प्रमुख परिवारेण स्वपुण्यार्थ देवाहका कारिता ॥ चौवीसी पर। [2411) - संवत् १४ए। वर्षे 10 चा प्र... दीता नाग देवा पु० गुणसेन नाद गुरुदे निमित्तं श्रीसुविधिनाबिवं कारापितं प्रतिष्ठितं उपकेशगछे जहारक श्रीसिद्धसूरिनिः । वाघमार ज्ञातीय ॥ न वादन जिनालय के द्वार के ऊपर रे भाग पर यह लेख है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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