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________________ [ए] जिनकुशलसूरि श्रीजिनपद्मसूरि श्रीजिनधिसूरि श्रीजिनचंडसूरि श्रीजिनोदयसूरि श्रीजिनराजसूरिपट्टे श्रीजिननप्रसूरिपट्टे श्रोजिनचंद्रसूर श्रीजेसलमेरुमहापुर्गे श्रीदेवकर्ण राउल विजवराज्ये श्रीगणधरचोपड़ा प्रासादे स्वपुति ........... ... . . . . . . . ' शुनं नक्तु 124083 ॐ संवत् १५३६ वर्षे फागुण वदि ५ दिने श्रीफकेशवंशे श्रीगणधरगोत्रे सं० पासड जार्या प्रेमलदे पुत्र सं० जीबंद सुश्रावकेण स समधर माय बरजू पुण्यार्थ विसति जिनपत्रिका कारिता प्रतिष्ठिता स्वरतर श्रीजिनजारिष श्रीजिनचंद्र .......... [बाई तर्फ {2406] ॥ संवत् १५३६ वर्षे फागुण सुदि ५ दिने श्रीफकेशवंशे श्रीगणधरचोपड़ागोत्रे साग नाथू पुत्र सं० सच्चा नार्या सं सिंगारदे पुत्र संजीमसी सुश्रावकेण जाणे श्राप राजलदे पुण्यार्थ पुत्र सा सूरा सारा सामल सा० सरवण सा कर्मसी नाग सूरजदे नार्या सांमझदे प्रमुखै संसार परिवारसहितेन श्रीविंशतिविरहमाण श्रीजिनवरेंऽपट्टिका कारयांचके। प्रतिष्ठिता श्रीखरतरगचे श्रीजिनराजसूरिपट्टे श्रीमत् श्री. जिनजप्रसूरिपटाखंकार सार श्रीजिनचं सूरिनिः। तछिष्य श्रीजिनसमुप्रसूरि श्रीगुण. रत्नाचार्य श्रीसमय नतोपाध्याय वा मुनि सोमगणि प्रमुख साधु परिवार सहितेन श्रोजेसलमेरुजुर्गे श्रीदेवकर्णेश्वरराज्येदं कारितं प्रासादे मंडिता पूज्यमाना चिरं नंदतु ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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