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________________ [२] [2348] संवत् १५२७ वर्षे माघ व० ४ श्रीज्ञानकीयगळे उपकेशज्ञातीय वाघसीण गोष्ठिक सा नरना ना नायकदे पुत्र धरणा जा धारसदे पु० दौता सहितेन स्वपुण्यार्थ श्री. शीतलनाथर्विवं कारितं प्रति० न० श्रीधनेश्वरसूरिनिः शुलं श्रीनाणगलीयः श्री ॥ __ [2340] संवत् १५२० वर्षे कार्तिक सुदि १२ शुक्र श्रीश्रीमालझातीय गा व्यव जगमाल सुत सूरा ना राजसदे सुत ५ व्यव० जाणु राणु मोड मूंगर लषमणनिः पितृमात: श्रेयसे श्रीश्रीसुविधिनायविंचं कारितं श्रीपूर्णिक प्रधानशाखा श्रीजयप्रनसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं कारेरी वास्तव्य ॥ [2350] संवत् १५५७ वर्षे माघ वदि ६ शुक्रे श्रीश्रीमालाण व्य० बाबा नाय वउलदे सुत जोजा जा रही ॥ जात धर्मसी सहितेन पि विरू थान सा पिछ श्रे श्री. शांतिनाथबिंबं का प्र० श्रीपिप्पलगडे श्री उदयदेवसूरिपट्टे श्रीरन देवसूरि निः ॥ १॥ मांडली वास्तव्य [23511 संवत् १५३१ वर्षे वैशाख सुदि ५ सोमे ॥ श्रीओएसवंशे ॥ क्षालनशाखायां ॥ श्रेण मेलीग जार्या माणकदे पुत्र श्रेप मांका सुश्रावकेण जार्या भूरादे पुत्र देपाल हरदास परवत सहितेन स्वश्रेयो) श्रीचक्षगन्छेश्वर श्रीजयकेस रिसूरीणामुपदेशेन श्रीसुमतिनाबि कारितं प्रतिष्ठितं ॥ श्रोसंघेन ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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