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________________ [4] [2212] श्री पार्श्वनाथबिंब संवत् १७७५ ना श्रावणसुदि ४ श्रीतपागञ्जस्य व आसकरण मुञ्जक [2213] संवत् १९२८ माहसुदि १३ बाई सरदारां.... यंत्र पर । x [2214] ॐ सं० १६०३ वर्षे ज्येष्ठ सु० ६ गुरौ जेसलमेरुसंघ कारित पट्टः तपागच्छाधिराजनहारकश्री विजयदेवसूरिजिः प्रतिष्ठितः ॥ -XX::> श्रीचंद्रप्रभस्वामी का मंदिर । * चौवीसी पर । [2215] ॐ ॥ संवत् ११२५ वैशाखसुदि ए श्रीमत्योकेशस कुकुसर सती सुता अम्बिका कारयामास चतुर्विंशति पट्टकं ॥ [ 2216] संवत् १४७६ वर्षे मार्गसुदि १० रवौ श्री जसवालज्ञातीय सा० जड़ा जाय रामी पुत्र साए बीमा जार्या रूडी सुत सा नामसीह जार्या मटकू । जार्यो नामलके पुत्र रत्नपालसहि x धातु के चतुष्कोण यंत्र पर यह लेख खुदा हुआ है। * इस मंदिर के दो महले के बायें तरफ की कोठरी में सर्वधातु की मूर्ति, चौवीसी और पंक्तीर्थियों का बड़ा संग्रह है। इन सभों के लेख यहां अनुक्रम से दिये गये हैं। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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