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________________ [४] [2461] सं० १५१६ वर्षे वैशाखवदि । उकेशवंशे रोहड़गोत्रे में थकण नार्या वारू पु० जा जेठाकेन जार्या सीतादे पुत्र । बगाईसरप्रमुख पुत्रपौत्रादियुतेन स्वज्येष्ठपु० मंण् मालापुण्यार्थं श्रीश्रेयांसविंबं कारितं श्रीखरतरगछे श्रीजिननप्रसूरिपट्टालंकारश्रोजिनचं सूरिनिः प्रतिष्ठितं ॥ श्रीः॥ [2162] सं० १५२७ वर्षे का सु० ४ रवी श्रीओसवंशे वड़हड़ाशाखीय सा० सादा जाप सुहड़ादे पुत्र सा जीवाकेन जा जीवादे त्रातृ सरवण सूरापांचाचांपासुतपूनासहितेन त्रातृ कांक सोनाश्रेयो) श्रीअंचलगन्छेशश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीचंप्रजस्वामिबिवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीकोरड़ागामे ॥ 12163] ॐ सं० १५३६ वर्षे फागुनसुदि दिने श्रीजकेशवंशे कूकहाचोण्डागोन्ने खाषण ना० लषमादे पु० सं० कूरपालसुश्रावकेन नार्या कोडमदे पु० सा जोजराजादिपरिवारयुतेन श्रीधर्मनायबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रोजिननमसूरिपट्टे श्रोजिनचंडसूरि " धातु की मूर्तिपर। [2164] • सं० १५एवर्षे पौषवदि ३ दिने ॥ श्रीआदिनाथप्रतिमा सेवक... * यह पाषाण के हस्ती पर सर्वधातु की सेठ की मूर्ति के पीछे का लेख है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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