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________________ ( २३ ) to लाडिक नान्यादेवर सा० देमा जा० फट् पु० धरणादि युतया स्वश्रेयसे श्री शान्ति नाथ त्रिबं कां० प्र० पूर्णिमा पक्षे श्री जयचन्द्र सूरि शिष्याण या० श्री जयरत्न सूरि उपदेशेन मलीग्रामे । धातु के यंत्र पर । [1120 ] सं० १५३४ श्री मूलसंघे ज० श्री भूवनकीर्त्ति श्री ज० श्री ज्ञानभूषण हूं० दो० भाषा जा० अमरा जातृ दो० दीरा जा० घरघू सु० जूता जगिपि सुध माणिक 1 जएकार की धातु की पञ्चतीर्थियों पर | [1121 ] सं० १३३८ वर्षे चैत्र वदि ७ शुक्रे महं० हीरा श्रेया महं० सुत देवसिंहेन श्री पार्श्वनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिजिः ॥ [1122] सं० १३६१ ज्येष्ठ सु० ए बुधे श्रे० आसपास सुत अजयसिंह तार्या श्री लण देवि तयोः सुत कान्हड़ पूनाच्यां पितृव्य लूणा श्रेयसे श्री शान्तिनाथ कारितः । प्र० श्री यशो न सूरि शिष्यः श्री विबुधान सूरिजिः ॥ [1123 ] सं० १४३७ वर्षे द्वि ( ? ) वैशाष व० ११ सोमे श्रोश० व्य० नरा जा० मेघ्री पु० जीम सिंहेन पित्रो श्रेयसे श्री विमलनाथ बिंबं का० प्र० ब्रह्माणीय श्री रत्नाकर सूरि पट्टे श्री हेमतिलक सूरिजिः । [1124] सं० १४४० वर्षे वैशाष शुदि ३ सोमे श्री श्रीमाल ज्ञा० पितृ पीमा मातृ घेतलदे सुत बाबाकेन श्री संजवनाथ बिंबं कारितं प्रति० श्री नागेन्द्र गछे श्री उदयदेव श्रेयोर्थ सूरिभिः । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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