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________________ पञ्चतीर्थियों पर। [1080] सं० १५१७ वर्षे पोष वदि छ रवी प्राग्वाट हा साप मूंगर ना सुहासिणि पुत्र वषम सिंहेन जाण सोनाई पुत्र नगराजादि कुटुब युतेन खपितुः श्रेयसे श्री शान्तिनाथ बिम्ब कारितं। प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्री रत्नशेखर सूरिनिः अहिमदाबाद' वास्तव्यः । [1031] सं० १५५७ वर्षे मार्गशिर सुदि ए शुक्रे श्री नाणा वालगछे उस कावू गोत्रे का सोंगा जा सोंगलदे पु० धूलाकेन जार्या पूजी सहितेन पूर्वज पूण्यार्थं श्री शीतलनाथ बिम्बं का श्री महेन्द्र सूरिनिः॥ पञ्चतीर्थी और मूर्तियों पर । ७ ___ [1032]x १ सं० ७ गे पमा विनिगो बाज लुगापति कारितं । [1038] ॥ संवत् ११ए६ माघ सुदि १५ गुरौ सहज मत्साम्बा श्री ऋषननाथ बिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं श्रामदेव सूरिनिः॥ [1034] संवत् १५५७ जेष्ठ सुदि १७ रवौ। श्रेण चाएमसीहेन निज कुटुम्ब सहितेन पार्श्वनाथः कारितः प्रतिष्ठितः श्री देवना सूरिनिः । [1035] सं० १५६५ फागुण सुदि १० रवौ श्रे० प्रवदेव सुत वीराणसदेव श्रेयोर्थ का प्रा श्री नावदेव सूरिजिः। * ये मूर्तियां श्री मन्दिर जी के प्राङ्गनके दाहिने कोठरी में रखी हुई हैं। x यह मूर्ति बहोत प्राचीन है परन्तु अक्षर घिस जाने के कारण स्पष्ट पढ़ा नहीं गया। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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