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________________ (१३५) बावन जिनायबमें पंचतीर्थीयों पर । [1019] ॥ सं० १२४५......समिणी श्रेयोर्थ पुत्र उधरणेन नात्रि पासधर श्रेयोर्थ श्री पार्श्व. नाथ बिंब कारित ॥ [19201 ओ संवत् १५६२ ज्येष्ठ सुदि १० शनौ बायट ज्ञातीय स्वसुर नायक श्रासल श्रेयोर्थ ......श्री श्रेयांस विंवं कारितं । श्री नागेन्द्र गो श्री वर्षमान सूरिनिः प्रतिष्ठितं । [1921] संवत् १३५१ वर्षे फागुण सु० .... ना घाटी पु० ऊदा ना० रुपिणि सुत आसपासण माता पिता पूर्वज श्रेयोर्थ चतुर्विशति पट्टः कारितः श्री चैत्रगलीध श्री श्रामदेव सूरिनिः श्री शांतिनाथ ......। [19221 सं० १३५५ श्री ब्रह्माण गठे श्रीमाल झातीय रिज पूर्वज श्रेयसे सुत मासाकेन श्री आदि नाथ बिंबं प्र० श्री विमल सूरिभिः।। [ 1023] सं० १३५६ श्री शांतिनाथ विं कारित श्री कक्क सूरिनिः प्रतिष्ठितं । __ [1924] सं० १३०१ वर्षे ज्येष्ठ वदि छ प्राग्वाट झातीय साधीना जार्या देवळं पुत्र चब्जा केन मातृ पितृ श्रेयोर्थ श्री पार्श्वनाथ विंबं श्री पूर्णिमा गळे श्री सोमतिलक सूरि उपदेशेन विंबं का प्रतिष्ठितं श्री सूरिनिः॥ 1925] सं० १३७३ वैशाख वदि ११ श्रेण सिरकुंआर ना सींगार देव्या प्र० सा लू .....: श्री महावीर कारितं । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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