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________________ (२२२) [734] ॥ सं. ! १९११ व । सा। १७७५....शुचिः । शु। १० ति। श्री शांनि जिन पादन्यासो प्र। खरतर ग जट्टारक श्री महेन्द्र सूरिजिः का । से। श्री उदेचंद नार्या माहा कुमार्य श्रे॥ बनारस। पाषाण की मूर्तियों पर। [ 1860 ] * (१) आँ संवत् १५११ वर्षे ज्येष्ठ सु० ३ गुरौ (२) श्रीमाल वंशे [ ढोर ] गोत्रे ३० (३) संग नढरव अजीतमस नार्याया (४) पुत्र......... (५) श्री सुमति नाथ विंबं का (६) प्रति श्री जिनचं सूरि... (७) श्री जिनतिलक सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ [1861] * (१) याँ स्वस्ति संवत् १५११ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३ पुष्यनक्षत्रे गुरौ श्रीमालवंशे ढोर गोत्रे सोवनपाख जार्या...... (२)..............यादिनाथ...... (३) खरतर ग० श्री जिनहर्षसूरि संताने श्री जिनतिलक सूरि प्रतिष्ठितं [1862 ] * (१) [नर ] पास नार्या । महुरी पुत्र व जरतपाल.... (२) सं० उडरव अजितमच.... श्याम पाषाण की बोटी मूर्ति पर। [1863]. सं० १३१२ वैसाख वदि....... "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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