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________________ (रए ) ३५ । .."स्तम्जतीर्थ - कायस्थवंशेनाद ..."उटैकितः .... सिया ..... लिख .... मिहच ३० सु० ... सूत्रधार कुमरसिंहनोत्कीर्णा ॥ शिक्षा क्षेत्र-जोयरे के द्वार पर । [1794 ] १।। ए ॥ श्री गुरुभ्यो नमः ॥ श्री विक्रम नृपात् संवत् १६६१ वर्षे वैशाख सुदि ७ सामे श्री । स्तंजतीर्थनगर वास्तव्य ॥ ऊकेश झातीय ॥ आबूहरा गोत्रविरूपण ॥ सौवर्णिक ॥ कलासु ३। त ॥ सौवर्णिक ॥ वाधा नार्या रजाई । पुत्र ॥ सौर्णिक व डिआ । नार्या सुहासिलि ॥ पुत्र । सौव४। णिक ॥ तेजपान जार्या ॥ तेजसदे नाम्न्या ॥ निजाति सौवार्षिक तेजपाल प्रदत्ताझ. ५। या ॥ प्रजूत व्यव्ययेन सुमिगृहश्रीजिनप्रासादः कारितः ॥ कारितं च तत्र मूल६। नायकतया स्थापनकृते श्री विजयचिंतामणि पार्श्वनाथ विवं प्रतिष्ठितं च श्रीमत्त। पागहाधिराज नद्दारक श्री आणंद विमल सूरि पहालंकार ॥ नहारक श्री विजयदा। न सूरि तत्पप्रजावक सुविहितसाधुजनध्येय सुगृहितनामधेय । पात ॥ ए । साह श्री अकबरप्रदत्तजगारूविरुद्धारक नट्टारक श्री हीरविजय सूरि १०। तत्पहोदयशक्षसहस्रपाद ॥ पातसाह । श्री अकबरसनासमक्षविजितवा११। दिधृदसमुद्भूतयशः कर्पूरपूरसुाजीकृतदिग्वधूवदनारविंद नारक श्री विजय १२ । सेन सूरिजिः ॥ क्रीडायानसुपर्वराशिरुचिरो यावत् सुवर्णाचलो ॥ मेदिन्यां ग्र२३ । हराएकवं च वियति ब्रहोंदुमुख्यंलशत् ॥ तावत्यागतासे वितपद श्री पार्श्वना१४ । थप्रजो ॥ मूर्ति श्री कलितोऽयमत्र जयतु श्रीमझिानेन्शालयः॥१॥ ॥ ॥ • LEUEUEUELEUELELELELE SE ETELEnanandannan. "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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