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________________ ( १६६ ) नगर - मारवाड। मूर्तियों के चरणचाकी पर। दाहिने तर्फ। [1718] * २॥ ॥ संवत् १२ए५ वर्षे आषाढ़ सुदि ध रखौ श्री नारदमुनि विनिवेशोते श्री नगर वरमहास्थाने सं० ए० । २ वर्षे अतिवर्षाकाम वशाद तिपुराणतण च आकस्मिक श्री जयादित्य देवीय महाप्रसाद विनष्टायां । ३। श्रीराजुलदेवी मूर्ते पश्चात् श्रीमत् पत्तन वास्तव्य प्राग्वाट उ० चंडपात्मज व श्रीचंड. प्रसादांगज उ० श्री सो। ४। मतनुज 30 श्री आसाराजनन्दनेन स श्री कुमारदेवीकुक्षिसंजूतेन महामात्य श्री वस्तुपाखेन स्वज्ञार्या म. ५। हं श्री स ... पुण्यार्थमिदेव श्री जयानित्य देवपल्या श्री राजलदेन्या मूर्ति रिय कारिता ॥ शुजमस्तु ॥ बायें तर्फ । [ 1714] १। ॥ ॥ संवत् १५७५ वर्षे आषाढ़ सुदि ७ रवी श्री नारद मुनि विनिवेशीते श्री नगर वर महास्थाने सं० ए०७२ वर्षे अ। तिवर्षाकालवशादतिपुराणं तया च आकस्मिक श्री जयादित्य देवीय महाप्रसाद पतन विनष्टायां श्री रत्नादेवी मूर्ती ३। पश्चात् श्री मत् पत्तन वास्तव्य प्राग्वाट ३० श्री चएडपात्मज श्री चण्डप्रसादाङ्गज व श्री सोमतनुज उप श्री यासाराजनन्द * श्री भीड़भंजन महादेव के मंदिर में सूर्य के मूर्ति के दोनों तर्क स्त्री मूर्तियों के चरणचौकी पर यह लेख है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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