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________________ ( १५७) [ 1601 ] संवत् १४ए६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १० बुधे श्री श्रीमान ज्ञातीय श्रेण कर्मसी जायर्या मटफू सुत गुणीआकेन स्वकुलश्रेयसे श्री कुंथुनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं । श्री बृहत्तपापक्ष श्री ज्ञानकलश सूरि पट्टे श्री विजय तिलक सूरिनिः । [ 16921 सं० १५५३ वर्षे वैशाष बदि ११ शुक्र उकेश वंशे सा पनरवद जार्या मानू पुत्र साह वदा सुश्रावकेण नार्या धनाई पुत्र कुंरपान सोनराल प्रमुखसहितेन श्री वासुपूज्य बिंब स्वश्रेयो कारितं । प्रतिष्ठितं श्री बृहत् खरतर गल नायक श्री जिनसमुऽ सूरिन । [1608 ] संवत् १५७० वर्षे माह दि १३ बुध दिने सुराणा गोत्रे । सं० केसव पुत्र संग समरथ नार्या सं० सोमलदे पु० सं० पृथीमल महाराज कर्मसी धर्मसी युनेन श्री अजितनाथ विंबं कारित मातृपितृपुण्यार्थ यात्मश्रेयसे प्रतिष्टितम् । श्री धर्मघोष गछे जट्टारक श्री श्री नंदिघद्धन सूरिनिः॥ चौवीसी पर। [ 16841 सं० १२५७ वैशाख शु० ३ गुरौ नंदाणि ग्रामेन्या श्राविकया थारमीय पुत्र खूणदे श्रेयोथ चतुर्विंशति पट्टः कारिताः । श्री मोढ गछे वप्पट्टि संताने जिन नाचार्यः प्रतिष्ठितः । [16051 सं० १५०० प्रा० सा० पादहणसी ना० नोटू सुत सा राजाकेन नाण मंदोथरि सुन सीहा कमुआदिकुटुम्बयुतेन श्री कुन्थुनाथ सपरिकर चतुर्विशति पट्टः कारितः प्रतिष्टितः श्री सोमसुन्दर सूरि शिष्य श्री रत्नशेखर सूरिनि ॥ ॥ श्री ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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