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________________ ( १५३ ) [1671] ॥ सं। १७५३ शाके १७५० प्र । माघ सुदि १० बुध वासरे श्री पाद लिप्त नयरे श्री थजिनंदन त्रिवं कारितं श्री वृहत् खरतर गडे न । जं। यु । श्रीमहज सूरिलिः प्रतिष्ठितं ॥ [1072] सं। २०७३ माघ सुधि १० बुध वारसर श्री सुमतिनाय बिर्व कारितं वृहत्खरतर गछे प्रतिष्ठितं जं० यु० प्र० मा श्री जिजमहेंद्र परिनिः । [673] ॥ सं० १९१० वर्षे शाके १७७५ प्रामाने माघ शुक ५ तिथौ श्री पाश्वनाथ बिवं प्रतिष्ठित न0 श्री जिनमहेंछ सूरिनिः कारित वमा ( ? ) गोत्रीय श्री हुकुमचंद तत्पुत्र अगरम तद्भार्या बुध तया श्रेयोपुरे। धातु की मूर्ति पर। [1314] सं० १४२० मि० फा० कृष्ण बुधे दूगड़ तारसिंह जार्या महताब कुंवर का० विहरमान अजित जिन २० वि श्री अमाचं सूरि राज्ये वा जानश्चं गणिना । फैजाबाद। श्री शांतिगायनी का मंदिर । महला - पालखीखाना । पंचतीर्थयों पर। {CTS १४६१ वर्षे जे दि १० झुक प्रा अष्टिमा जा। देवल पुध जैसा भ्रातृव्य पीनाच्या स्वश्रेयसे श्री पद्मन वि का प्रतिक विपक्ष गोश्री वीरप्रत्न सूरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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