SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १४४ ) खाला विसनचंद जी तत्पुत्र काशीनाथजी तत्पुत्र देवीप्रसाद तद् चातृवधुः ननकु ॥ श्रेयार्थं ॥ १ ॥ पंचतीर्थयों पर [ 1633] संवत् १५२३ वर्षे माद सुदि ६ नासली वासि मं० जलाकेन जार्या जावलदे सुत मांडण जा० जेारि प्रमुखकुटुंबयुतेन चातृ बलराज श्रेयसे श्री शांतिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं सपागच्छेश श्री श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः ॥ श्रीः ॥ [1834 ] सं० १२५० वर्षे वैशाप सुदि ११ गुरौ श्री सवाल ज्ञातौ कवजतिया गोत्रे । सं० पदमसी जा० पदमलदे पु० पासा जा० मोहदे । पु० पाल्हा श्रोत तत्र सा० पाल्हाकेन स्वनार्या इंद्रापुण्यार्थं श्री श्रेयांस वित्रं कारितं । प्रतिष्ठितं । ककुदाचार्य संताने उपकेश हारक श्री देवगुप्त सूरिजिः ॥ [1635] सं० १६८२ वर्षे ज्येष्ठ वदि ए गुरौ श्री अहमदावाद वास्तव्य उसवाल ज्ञातीय वृद्ध. शापायां श्री शांतिदास जा० बाई रूपाई सुत सा पनजी कारितं श्री शांतिनाथ वि प्रतिष्ठितं श्री तपा गछे ज० श्री विजयदेव सूरि वरैकि ( ? ) महोपाध्याय श्री श्री श्री सुनिसागर गणिनिः श्रेयोस्तु ॥ चसी पर | [1636 ] सं० २६१७ वर्षे वैशाष यदि श्रु० श्री मूलसंघे सरस्वती गछे बलात्कारगणे श्री कुंदकुंदाचार्यन्वये ज० श्री सकलकीर्त्ति देवास्त० ज० श्री जुवनकीर्त्ति देवास्त० ज० श्री ज्ञानभूषण देवास्त० ज० श्री विजयकीर्त्ति देवास्त० भ० श्री शुनचंद्र देवास्तत्पङ्के "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy