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________________ ( ४ ) [1371] सं० १५० वैशाष सुए जूका बेविकान्यां स्वश्रेयसे कारिता [1372 ] सं० १५०० वर्षे माघ सु० १० शनौ ऊकेशवंशे माल्हू गोत्रे मं० जोजराज जा० क्रमाद पुत्र [सं०] देवाना० मं० सोनार संग्रामादि सहितेन सू (?) जा० देवलदे श्रेयोर्थं श्री अजित विं का० प्र० श्री खरतरगच्छे श्री जिनसागर सूरिनिः ॥ [1373] सं० १९१२ माघ ० १ बुधे श्री ओसवाल ज्ञानो सुहणाणी सुचिंती गो० सा० सारग जा० नयी पु० श्रीमान जा० षीमी पु० श्रीयंत्र युतेन मातृश्रेयसे श्री आदिनाथ विं कारितं उपकेशगछे ककुदाचार्य सं० प्र० श्री कक्क सूरिजिः ॥ [1874] सं० १५१३ पोष सु० ७ ऊकेशवंशे वि क गोत्र सं० नरसिंहांगज सा० मार पुत्रेण सा० की हाकेन निजमातृपुण्यार्थ श्री नमि चिंचं का० प्र० ब्रह्माण तपगठे उदयप्रन सूरि जहारक श्री पूर्णचंद्र सूरि पट्ट श्री हेमहंस सूरिनिः । **** } *0*2 101-02 [ 1375] सं १९१३ वर्षे माह सु० ३ ऊमेश पीछेपरिया गो० सा० पिया जाय मथी पु० जावू सेषू जा० सोम श्री प्ररपोध ( ? ) ० श्रेयसे श्री आदिनाथ बिंबं का० प्र० श्री वृहज श्री सागरचंद्र सूरिजिः । माथी ----- "Aho Shrut Gyanam" 200119 [ 1370] संवत् १८१५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ९ सोमे गूर्जर ज्ञातीय दो० अमरसी जा० रूपिणि सुत
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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