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________________ ( १ ) १३. स्यां शुक्रे ऽनुगधायां धीमकर्णे श्री सूराणवंशे सं० गोसल तरपुत्र संग शिवराज तत्पुत्र सं० हेमराज तद्भार्या सं० हेमश्री त. १४. (पुत्र सं० धजा सं० काजा सं० नामहा संप नरदेव सं० पूजा सार्या प्रतापदे पुत्र सं० चाहड़ ला पाटमदे पुत्र सं० रणधीर १५. सं० नाथू संग देवा संग रणधीर पुत्र देवीदास सं० काजा नार्या कतिगदे पुत्र सं० सहसमस सं० रणमल १६. सहसमन पुन्न मांमण । रणमल पुत्र घेता पीमा । सं० नादहा पुत्र सं० सोहम पुत्र पीथा सं० नरदेव पुत्र मोकला. १७. दिसहितेन । सं० चाइमेन प्रतिष्ठा कारिता सपरिकरेण श्रीपद्मानंद सूरि तत्सद्दे जा श्री नंदिवन सूरीश्वरेज्यः ॥ चुरू-बीकानेर। श्री शांतिनाथजी का मंदिर। पंचतीर्थयों पर। [1357] सवत् १३०४ ... गो .. कारितं श्री पार्श्वनाथ बिंबं । [1358] ॥ सं० १३०० ज्येष्ठ सु० १४ श्री जएसगळे श्रे० म ..." खा ला० मोषलदे पु० देहा कमा पितृ मातृ श्रेयसे श्री आदिनाथ बिवं कारितं प्र० श्री ककुदाचार्य सं० श्री कक्क सूरितिः। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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