SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५३) [214] ए । सं० २५०७ बर्षे ज्येष्ठ सुदि २ दिने श्री उकेश बंशे खोढ़ा गोत्रे सा० जोखा संताने सा० बीरा जाय जावसदे पुत्र सा० जाडाकेन पुत्र नीमल बीसल डूदा माका सहितेन श्री बासुपूज्य बिंवं कारितं प्रति० श्री खरतर नष्ठाधीश श्री जिनराज सूरि पहालङ्कार श्री जिन सूरि युगप्रधान गुरुराजौ । / [215] सं० १५१० बर्षे ध्याषाढ़ बदि १ मंत्रिदलीय काणा गोत्रे ० नगराज सुत उ० लघूनाय धमिणि पु० सं० श्री व्यवलदासेन पुत्र उ० उमसेन लक्ष्मीसेन सूर्यसेन बुद्धिसेन बीरसेन देपाल पढिराजादि परिवार वृतेन स्वपसे थं घादिनाथ विं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गछे श्री जिन सूरि पदे श्री जिनचंद्रसूरिभिः ॥ [26] सं० १५१ वर्षे आषाढ़ यदि १ श्री मंत्रिदलीय शाखायां वायड़ा गोत्रे स० षौमराज जा० सुरदेवी पुत्र उ० दासू जा० कपूरदे पु० त० सदय वछ ( १ ) प्रमुख परिवार सहितेन स्वयसे श्री शितलनाथ बिंवं कारितं प्र० श्री खरतर गछे थी जिनसुंदर सूरि पट्टे श्री जिनदर्ष सुरजः ॥ श्री ॥ ✓[217] सं० १५१० बर्षे आषाढ़ बदि १ मंत्रिदलीय काया गोत्रे उ० श्री नगराज सुत उ० श्री लघुजार्या धर्मिणि पुत्र स० सिंगारसी जा० कुंवरदे पु० स० राजमल सुश्रावकेण पुत्रादि परि वार सहितेन श्री आदिनाथ मूल बिंवश्चतुर्विंशति पट्ट कारितः प्रतिष्ठितः खरतर श्री जिन सूरि पट्टे श्री जिनचंद्र सूरि युगप्र० बरागामेः ॥ ६ ॥ [218] सं० १५१० बर्षे माघ सुदि दशम्यां बुधे श्रीमाल ज्ञातीय स० बाजु जाय धरणी आत्म --
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy