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________________ ( ४८ ) माणंद सपरिवार महधारा श्रीय विशव धर्म कर्मोद्यम विधायक व० दुखाचंद्र काजड़ा गात्रीय म० मदन सामीदास मनोदर कुशला सुंदरदास रोहविया पुत्र मथुरादास नारायणदास गिरिधर संतोदास प्रसादी । वार्तिदिपा गो० गुजरम पूदड़मल मोहनदास माणिकचं बूदम जेठमल । ठ० जगन नूरीचंद । दान्दरा गो० ० कल्याणमल्ल मलूकचंद संतोषचंद सपला गोत्रीय ठ० सिंह कीर्त्तिपाल बाबूराम केसवराय सूरतिसिंघ । काऊंड्रा गो० दयाव बास नोवालदास कृपालदास मीर मुरारीदास किन्नू । काणी गोत्रीय ठ० राजपाल रामचंद • कीर्त्तिसिंघ वा० बत्रीचंद । जीजीयाण गो० सं० नथमल नंदलाल । दास सुंदरदास सागरमति कमलदास । रो० सुंदर सूरति - महावीर नान्दा गोत्रीय १३ मूरति सवकृती प्रताप उ० मदनल्ल जा० हरदासपुर ---1 पाषाणके मूर्तिपर । -- -- माह सुदि १३ दिने —— [193] ॥ सिरि देवगिपि खमा समया ढोत्ता तेसिं सिरि बीर निवाषाउ नवसय असी बरि सेहिं जिलागम रकगा तुम्हलेद कारणाउ चिंवमिषं पद्धावियं सिरि जिल महिंद सुरीहिं ॥ सं० १९१० वर्षे मा। सु० २ । बेदी पर | J[194] सं० २०३८ मिति जेष्ठ शुक्ल ५ बुधवासरे इदं वेदिका कारापितं उसवाल ज्ञातो राख सेठिया गोत्रे सेठजी श्री लबमणदासजी तत्पुत्र कल्लुमलजी तत्वात् धनसुख दासजी । दाहिने तर्फ दादाजी की कोठरी के चरथोंपर ! [195] सूरीया पाडुके
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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