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________________ (४६) मा० करगिणि पुत्रेण स शुनकरण ना० पद्मिन्या: पु० लक्ष्मीसेन दाबू जनम्याः श्रेयोपं श्री संनवनाथ विवं का० श्री खरतर श्री जिनन सूरि पट्टे श्री जिनचंड सुरिनिः प्रति ष्ठितं श्रेयोस्तुः॥ ! [187] सं० १५६५ वर्षे वैशाख सु० १० दिने श्रीमाल ज्ञातीय गोत्रे मोतिप्पा सा रणमल पुत्र सा दीपचंद नार्या जीवादे कारितं । श्री खरतर गछे नहारिक श्री जिनहंस सूरि गुरुभ्यो नमः ॥ प्रतिमा श्री शांतिनाथ विं कारितं ॥ पापापके चरण पर। / [188] सं० १६५५ वर्षे घेशाख सुदि ३ गुरौ --- रुपचंद पुत्र जसराज अपेण चापा - श्री बर्द्धमान जिनस्पेयं पाउका कारा --। / [180] ॥ संवत १७७२ वर्षे माह सुदि १३ दिने सोमवारे श्री पुएकरक चरण कमल पाय । मध्यके चरणपर। [100] ॥५०॥ स्वस्ति श्री जयोमंगवान्युदयश्च ॥ श्री गौतमस्वामिनोखब्धिः ॥ संघत ११एछ बैशाख मुदि ५ सोनबासरे ॥ श्री बिहार नगर वास्तव्य श्री पन जिनेश्वर प्रथम पुत्र श्री जरत चक्रवर्चि राजान मुख्य मंत्रिदख संतानीय महतीयाण ज्ञाती मुख्य चोपड़ा गोत्रीय संघनायक मं० संग्राम । राहदिया गोत्रीय संघ० परमाणन्द प्रमुख श्री वृहत खरतर गछीय नरमणि मएिकत नावस्थ.श्री जिनचंड सूरि प्रतिबोधित महतीयाण श्री संघ कारित थी बीर जिन निर्वाण चमि श्री पावापूरी समीपर्चि वरविमानानुकार भी वीर जिन प्रासाद
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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