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________________ (३७) सूरा जा सूरमादे साए श्री रङ्ग सदारङ्ग श्रमीपलादि कुटुम्ब युतेन साह सा चवीरेण श्री सुमतिनाथ विवं कारित प्रतिष्ठितं श्री तपा गछे श्री विशाखसोम सूरि शिष्य श्री श्री५सूरिनिः। 4158] झींकार यंत्रपर। सम्बत १६६ए वर्षे शुक्लपक्षे त्रयोदशी दिने शुक्रवारे श्री मूलसंघे सरखति गछे बखत्कार गणे चंपापूरी नगर शुनस्थाने --- 1150] सम्बत १६७३ वर्षे मूलसंघे ना श्री रत्नचंड उपदेशेन उपा० श्री जयकीर्ति प्रतिष्ठित -- ग्रामे समस्त श्री संघेन कारापितं । बाबु सुखराज रायजी का घरदेरासर - नाथनगर पाषाणके मूर्तिपर। [10] सं० १७७७ माघ सुदि १३ बुधे ओस बंशे कगरा गोत्रीय लाला जमनादास तन्नार्या थासकुवर तथा श्री वासुपूज्य जिन बिवं कारितं मुनि हेमचंञोपदेशात्प्रतिष्ठितं श्री बृहत् खरतर गडीय श्री जिन ----। पञ्चतीर्थीयों पर। __[161] सं० १५१ए - - - मंत्रिदक्षीय श्री काणागोत्र लाधू जाप धम्मिणि पु० स०
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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