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________________ (३०) [126] सम्बत १५५७ बर्षे माघ बदि १५ बुधे प्राण सा गेला ना० चा सुन सा गजा वना तपा दरपाल ना जीवणी सुहासा वसुणलादि कुटुम्ब सहितन कारापितं श्री कुन्थुनाथ विवं प्रतिष्ठितं सूरिनिः सीणोत नगरि गोत्र लीवां । । [127] सं० १५५० वर्षे माघ सु०५ श्री श्रीमाल ज्ञातीय दो शिवा ना सिरियाद शृङ्गारदे सुत दो धनसिंहेन नानां विहा सा कुंथरि जाण् देवसी धीरादि कुटुम्ब युतेन खश्रेयस श्री शान्ति विवं कारितं श्री सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ 128} सं० १५६५ बर्षे बै० सु० १० रखो श्री तातहम गोत्रे स जेतू नार्या जिवूह पुत्र ३ सा० श्राद सा बुझू सा बाहड़ तन्मध्यात् सा बाहर नार्याया मेयाही नाम्न्या स्वश्रेयसे स्वपुण्यार्थच श्री सुमतिनाथ विवं का प्र० श्री उपकेश गछे ककुदाचार्य सन्ताने श्री देवगुप्त सूरिनिः॥ माधोखासजी उगड़ का घरदेरासर-बड़तला । - [ 129] ई सं० १५१५ बर्षे थाषाढ़ बदि श्री उकेश बंशे बरड़ा गोत्रे सान् हरिपाल सुत ना० थासा साधू तत्पुत्र मं ममलिक सुश्रावकेण नार्या सं० रोहिणि पुत्र सण साजण प्रमुख सपरिवार सहितेन निज श्रेयसे श्री विमलनाथ बिवं कारितं प्रतिष्ठितं च श्री खरतर गछे श्री जिनराज सूरि पदे श्री जिनन सूरिनिः। माधोखाल बाबुका घरदेरासर-मूर्गीहाटा । । [130] सं० १६ए४ वर्षे माघ सु० ६ गुरौ रेवती नक्षत्र श्री छीप बंदिर वास्तव्य श्री उकेश
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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