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________________ (२६) काही पुत्र सा सीहा सुश्रावकेण ना सूइविद पुत्र श्रीवंत श्रीचंद स्तदान व शिवदास पौत्र सिद्धपाल प्रमुख कुटुम्ब युनेन श्री अञ्चल गछेश श्री जयकेशरि सूरीणामुपदेशन मातृ पुण्यार्य श्री कुन्थुनाथ विवं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री सबैन ॥ J[100] सं० १५३६ वर्षे वैशाख सुदिप लाम उपकेश ज्ञातीय उ० धरणी ना ऊली सु० देगला जा० कंती कनसू जतृ धात्म श्रयोथं श्री धर्मनाथ विवं का प्रति श्री नाणवाल गठ श्री धनेश्वर सूरिनिः । कारड़ा वास्तव्यः । __ [110] सम्बत १५५५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ शुक्र श्रीमाल ज्ञातीय माथसपूरा गात्रे म हंसराज ना दासलदे पु० सा पेढा ला० बीमाद धात्म श्रेयसे श्री चंऽप्रन बिवं कारापित श्री धम घोष गळे ज० कमलप्रन सूरि तत्पट्टे न० श्री पुण्यवर्द्धन सूरिभिः प्रतिष्टितं ॥ 3 ॥ J [111] सम्बत १५७५ वर्षे माघ सुदि ६ गुरौ श्री श्रीमाल ज्ञातीय अष्ठि लामण नार्या अजी मत पासण रूढ़ा जेसिंग इड़ा जा रमादे स्वपितृ मातृ श्रेयोथं श्री धर्मनाथ बिंवं कारितं भी पागम गछे श्रीमुनिरत्न सूरि पट्टे श्रीधानन्दरत्न सूरिनिःप्रतिष्ठितं बबयाणा वास्तव्यः॥ J [112] सं० १५७७ वष फागुण सु० ए बुधे राजाधिराज श्री नाजि नरेश्वर तम्नाया श्री मरु देव्या तत्पुत्र श्री आदिनाथ विवं का० इंशाणी अनिधानेन कर्मक्षयार्थ श्रेयोस्तु शुनं नवतु ॥ [113] सं० १६५७ वर्षे माघ सित पञ्चमी सोमे वृद्ध शाखायां अहम्मदावाद वास्तव्य उसवाल झातीय । सा घोघा नार्या कम्हा सुत सा राजा नार्या अदक सुत सा जयतमाख । जार्या
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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