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________________ लेखांक संवत् १८८८ १८६७ नाम जरपल्लीयगच्छ उदयचन्द्र सू० सागरनंद सू० तपागच्छ। सोमसुंदर सू० ५९२ १९०० वा० विनयविजय शिष्य २६३-२६७ १३१ १९११ १६१२ नाम लेखांक | संवत् जिनअक्षय सू० पट्टे) | १५०३ जिनचन्द्र सू. ३४३ जिनमहेंद्र सू० १५३२ कुशलचन्द्रगणि । २०३४५ जिननंदिवर्द्धन सू० | २४२२४३॥ १४७५ पं० कोयंदय १४८५ जिनमहेन्द्र सू. २४४,२६८१६३४ १४८६ १४६६ मु०मोहनचन्द्र १४६६ जिनकल्याण सू० १४८९ जिनरत्न सू० चन्द्र गच्छ। | १४८३ | १४८५ पूर्णभद्र सू० १४६० चंद्रप्रभाचार्य गच्छ। १५०१ ./चित्रवाल गच्छ। १५०३ मुनितिलक सू० ७०० ५५३११२३ रत्नसिंह सू० 99 १९२६ .१४६ २९७२ भुवनसुंदर सू० हेमहंस सू० ३७४-७६ ५४८ १२३६ ३३ १५०७ ११६० मुनिसुन्दर सू० जयचन्द्र सूर ६४७६८ ६२१ ४७५ ४५७ उदयनंदि सू० रत्नशेखर सू० १५०६ १५०८ १५१३ १५२८ १५४८ वा२६०७५ दोणाकर सू० सोमकीर्ति सू० सोमदेव सू० रत्नचंद सू० पा० तिलकचंद्रमु०॥ १५१० २५१२ १५१३ १५१४ ८१८ २७६७४२ ४०१५७३२९२६ चैत्र गच्छ। રરર १३३३ अजितदेव सूर गुणाकर सू० रत्नसिंह सू०
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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