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________________ V [21] संवत १६३० बर्षे माघ सुदि १३ दिने पत्तन वास्तव्य सा सांडा नार्या लषमाइ सुत वीर पालेन जार्या रंगार प्रमुख कुटुंब युतेन श्री संजवनाथ विवं कारितं प्रतिष्टितं तपा गछाधिराज श्री हीरविजय सुरिनिश्चिर नंदतात् । [22] ॥ रोप्य के मूर्ति पर ॥ संवत १९३३ का जेष्ठ शुक्ले १३ शनिबासरे श्री शांतिजिन पंचतिर्थीका उस वंशे उधे. डिया गोत्रे बाबु हर्षचंद तत्पुत्र बाबु बिसनचंखेन कारितं पुनमिया विजय गछे श्री शांति सागर सूरिजिः प्रतिष्ठितं । ॥ श्री संजवनाथजी का मंदिर ॥ [23] संबत १५११ वर्षे ज्येण सु० ३ गुरौ दिने ऊन् ज्ञातीय श्री वरलद्ध गोत्रे नाथु संताने राजा नार्या राजलदे सुत सह सावलू राणा हुदा श्री मखयुतो पितृ मातृ श्रेयसे श्री चंड प्रन स्वामी विषं कारितं प्रतिष्ठितं श्री बृहमने श्री मुनिशेखर सूरि संताने श्री महेंड सूरि पट्टे श्री श्री श्री रत्नाकर सुरिनिः शुनं ॥ V[24] संवत १५४६ वर्षे माघ सु० १० रवी श्री श्रीमास ज्ञा० सं० जूनच नार्या संग जरमादे सुत सं० समरसी जार्या धनाश् सु० रा० अर्जन केन जार्या श्रहिवदे पु० सं० राणा शाणा प्र० कुटुंब युतेन खश्रेयसे श्री वासुपूज्य विंबं कारित प्रति० श्री बृहत्तपा श्री ज्ञानसागर सुरि पट्टे श्री उदय सागर सूरिनिः । वुगुज ग्राम ॥
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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