SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२) [2] सं० १४६५ बर्षे माघ सुदि ६ रयो श्री आंचल गछे प्रग्वाट झातीय व्य० उदा नायीचत्त तत्पुत्र जोला नार्या डमणादे तत्पुत्रेण व्य० मूंडनेन श्री गछेश श्री मेरुतुंग सुरीणामुपदेशेन त्राता श्रेयोर्थ श्री पार्श्वनाथ विंबं कारित प्रतिष्टितं श्री सूरिभिः । - [3] संबत १४ बर्षे पोष वदि ५ शुक्र ग्रेहमी बास्तव्य श्रीमान झाती श्रे० प्रतापसींद जा० सोहगदे सुत इदाकेन पितु मातु श्रेयोथं श्री वासुपूज्य विंबं कारित पूर्णिमा गर्छ प्रतिष्ठितं श्री सूरि जिनबद्धन सूरि । [4] सं० १५१० व० फा० शु० १५ उकेश बंशे जाणेचा गोत्रे सा० पदम पुत्र रउला सु० साजण ना जइसिरि पु० षेढा जा० कणसिरि पेता ना खषमसिरि पुत्र ३ का खेमधर देवराज ना० चांडू सा हापाकेन ना० ३ गूजरि सु० पुंजा राजीदि कुटुंब युतेन स्वश्रेयस श्रीश्रेयांस चतुर्विंशति पट्टः कारितः तपा श्रीरत्नशेखरसूरि श्रीउदयनंदिसूरिनिः प्रतिष्ठितः। [5] ___ सं १५१७ बर्षे माह सु०५ शुक्रे श्री उपकेश ज्ञाती नाहर गोत्रे सालेला पु० लाघा नाय सोहिगि पु० चांपा सालू खादा सहितैः पितु श्रेयसे श्री श्रेयांस नाथ विंबं का प्रति श्री धर्मघोष ग श्री विजयचंड सूरि पट्टे ज० श्री साधू रत्नसुरिनिः । । [6] संबत् १५३६ बर्षे मार्गशिर सु०६ शुक्र श्री श्रीमाल झाय व्यव० श्राका नार्या रातलदे सुत खावाकेन ना मानू नापा निमि । श्री शांतिनाथ विवं कारा०प्र० पिक श्री मुनि सिंधु एरि पदे श्री अमरचंड सूरिभिः ॥ नापलिया ग्रामे ।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy