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________________ ( २३२ ) पाहू राज पुत्र अभय पाल राज्ञी श्री महिषल देवि सहितैः श्री शांतिनाथ देव यात्रा निमित्त भढिया उव अरघट उरहारि मध्यात् गूजर तृहार १ जवा ग्राम पंच कुल दानं कृतं पुण्याय साक्षि अत्र वास्त -- गण --- सो० देवलये. मितस्य २ त —- समक्ष एतत् - समीपाटीय पातकेन लि पाजून आप्र--. समक्ष आदानं ... हत्या ११ । 111 कुंदी | मारवाड़ के गोड़वाड़ इलाके के बीजापुर के पास यह प्राचीन स्थान है । श्री महावीरजी का मंदिर । (893) ॐ ॥ सं० १२९९ वर्षे चैत्र सुदि ११ शुक्रे श्री रत्न प्रभोपाध्याय शिष्यः श्री पूर्ण चन्द्रोपाध्यायै रालकद्वय शिखराणि च कारितानि सर्वानि । ( 894 ) 1 ॐ सं० १३३५ वर्षे श्रावण वदि १ सोमे ऽद्यह समीपाही । मंडपिकायां भां पाहट वां । पथरा महं सजन उ महं० घीणा उधण सीह उ० व० देव सिंह प्रभृति पंच कुलेन श्रो शताभिधान श्री महावीर देवस्य नेचाप्रचयं ? वर्ष स्थितिके कृत द्र० २४ व विंशति । द्रम्माः वर्ष वर्ष प्रति समी मंडपिका पंच कुलेन दातव्याः पालनीयश्च बहुभिर्वसुधा भुक्ता राजभिः सगरादिभिः यस्य यस्य यदा भूमि तस्य तस्य सदा फलं शुभं भवतु ॥ -4
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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