SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१८६) (771) सं० १६७७ ज्येष्ट वदि ५ गुरो ओसवाल ज्ञातीय गणधर चोपड़ा गोत्रीय स. नामा मार्या नयणादे पुत्र संग्राम भार्या सोली पु० माला भार्या मालहणदे पु० देका मा देवलदे पु० कचरा मायां कउडमदे चतुरंगदे पुत्र अमरसी भार्या अमरादे पुत्र रत्नसेन श्री अर्बुदाचल श्री विमलाचलादि प्रधान तीर्थ यात्रादि सद्धर्म कर्म करण सम्प्राप्त संघपति तिलकेन श्री मास करणेन पितृव्य चांपसी प्रोतु अमीपाल कपूरचंद स्वपुत्र ऋषभदास सूरदास भातृव्य गरीवदास प्रमुख सस्त्रोक परिवारेण संपरूप जी कारित शत्रुजयाष्टमोद्धारमध्य स्वयं कारित अवर विहार शृगार हार श्री आदिश्वर विवं कारित पितामह बचनेन प्रपितामह पुत्र मेधा कोजा रताना समुख पूर्वज नाम्मा प्रतिष्ठितं श्री वृहत्खरतर गच्छाधीश्वर साधूपद्रववारक प्रतियोधित साहि श्रीमदकवर प्रदत्त युगप्रधान पद धारक श्रोजिन चन्द्र सूरि जहांगीर साहि प्रदत्त युगप्रधान पदधारक श्री जिन सिद्ध सूरि पह पूर्वाचल सहन करावतार प्रतिष्ठित श्री शत्रजयाष्टमोद्धार श्री भाणवट नगर श्री शांतिनाथादि विबं प्रतिष्ठा समयनि-रत्सुघार श्री पार्श्व प्रतिहार सकल महारक चक्रवर्ति श्री जिनराज सूरि शिरः शृगार सार मकटोपमान प्रधानैः। (772) सं० १७०० व द्वि० चै सित ८ गुरौ गोलकुंडा वा० सा० मेघा मा० मीहणदे सुत सा. नानजी नाम्ना श्री मुनि सुब्रत विवं का० प्रतिष्ठितं तपाधिपति परम गुरु महारक श्री विजय सेन सूरि पहालङ्कार पसिस्याहि श्री जहांगीर प्रदत्त महातप विरुध धारि श्री विजयदेव सूरिभिः।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy