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________________ (१७२) सादडि। यह ग्राम रैनपुरसे ३ कोस पर है। ((:19 ) स्वस्ति श्री ऋद्धि रद्धि जया मंगलाभ्युदय श्री- अथ श्रीत--विक्रमादित्य समयात्.१६४८ वर्षे वैशाख मासे कृष्णपक्ष अष्टम्यां तिथौ लामदासार गंगाजल निर्मलायां श्री उसवाल ज्ञातौ कावेडिया गोत्र साह श्री भारमल गृहे भार्या बहू श्री मेवाडी--- तत्पुत्र साह श्री तारा चंदजी स्वर्गारूढो जातः तत्र बहू श्री तारादे १ बह ओ त्रिभवणदे २ बहू श्री असडवदे ३ बहू श्री सोनागदे ४ सहगत ---। । नाकोडा। मारवाड़ के मालानी-परगने के नगरके पास पहाड़ोंके बीच यह एक प्राचीन स्थान है। - ( 720 ) संवत १६२१ --- पार्श्वनाथ जिन चैत्ये चतुष्किका कारापिस श्रावक संघेन । ( 721 ) - - संवत १६३८ आशाढ़ सुदि २ गुरुवार ---। ( 722 ) संवत १६४२ भाद्रपद सुदि१२ सोमवार ---राउल श्री मेघराजजी विजय राज्ये --।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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