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________________ (१५६ ) पु० वसनाना १२ पु० व्य० राम १३ पुत्र व्य० मीना भार्या मांकू पुत्र वसाहर रयणायर सुश्रावकेण मा० गउरी पु० भूभव पौत्र लाडण वरदे भातु समधरीसायर भ्रातृ व्यसगरा करणसी- सारंग वोका प्रमुख सर्व कुटुंव सहितेन श्री अंचल गच्छे श्री गच्छेश श्री जय केसरि सूरिणामुपदेशात् स्व श्रेयसे श्री शांतिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री संघेन श्री भवंतु ॥ " ( 674 ) सं० १५३१ वर्षे श्री अंचल गच्छेश श्रीजय केसरि सूरीणामुपदेशेन श्री श्री माल ज्ञासीय दो० मोटा भा. रत्तु पु० वीरा भा० वानू पु. लषा सुश्रावकेन भगिनी चमकू सहितेन श्री शांतिनाथ विवं स्वश्रेयोथं कारितं श्री सघ प्रतिष्ठितं ॥ ' ( 675 ) सं० १५४८ वर्षे कातिक सुदि ११ गुरौ श्री श्रीमाल ज्ञातीय धामी गोवल मा० आपू सु० वावा भा० पोमी सु० गणपति स्वयसे श्रीचन्द्रप्रभ स्वामि वि. का. प्र० चैत्रगच्छे श्री सोमदेव सूरि प्रतिष्ठितं । '( 676 ) सं० १५४६ वर्षे वै० सु० १० शु० श्री उ० ज्ञा० पीहरेवा गोत्र साह भावड भा० भरमादे आस्मश्रेयो) श्री जीवित स्वामी श्री सविधिनाथ विवं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री उसवाल गच्छे श्री कक्क सूरि पट्टे श्री देव गुप्त सूरिभिः ॥ - ( 677 ) संवत १५७२ वर्षे वैशाष सुदि १३ सोमे श्री श्री प्राग्वाट ज्ञातीय दोसी सहिजा सुत दो• भरणा मार्या कटि सुत दोसी वहु मार्या वल्हादे तेन आत्म पितृमातृणां श्रेयसे श्री
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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