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________________ ( १९९) ( 638 ) संवत १४४३ वै० शु० १५ पूर्णिमा तिथो रविवासरे हत्खरतर गच्छै श्री जिन भक्ति सूरि पहालंकार अहारक श्री १०५ श्री जिनलाभ सूरिभिः ।-- श्री राम विजयादी प्रमुख सहूक -- आदेशात् सनीपुर - श्री ऋषभदेवजी - - । सरस्वतीजी महादेव जी के चरण चौकी पर । (639 ) संवत १६७६ वर्षे मा० सुद० १३ -- । मरुदेवी माताजीके हस्ति पर। (640 ) __ संवत १७११ वर्षे वैशाष सुदि ३ सोमे श्री मूलसंघ सरस्वति गच्छे वलात्कारगणे श्री कुं--। (641 ) __ संवत १७३४ व० माघ मासे शुक्लपक्षे - तिथौ अगुवासरे श्री मलसंघ काष्ठासंघ अहारक श्री रामसेनीन्वये तदाम्नाये १० श्री विश्व भूषण भ० यशः कीर्ति १० श्री चिमुवन कीर्ति--। ( 642 ) संवत १७४६ वर्षे फागुण सु० ५ सोमे श्री मूलसंघ सरस्वति गच्छे वलात्कार गणे श्री श्री कुंदकुदाचार्यन्वये अहारक श्री सकल कीर्ति स्तदन्तर महारक श्री दामकीर्ति --।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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