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________________ ( १२६ ) ( 537 ) संवत १५२५ वर्ष चैत्र वदि शनौ प्राग्वाट ज्ञातीय श्र े० सोमा भा० सूहूला सुत सिवा भार्या सोभागिणि सुत् पद्मा भार्या पहती श्री सुविधिनाथ विंवं का० सद्गुरूप देशेन विधिना प्र० विंवं - ----छ॥ (538) सं० १५२७ वर्षे पोष वदि १ श्री० प्राग्वाट ज्ञा० म० हेमादे सु० बईजा स्वसाकला नान्या श्री नेमिनाथ विंवं कारितं प्र० वृद्ध तपापक्ष भ० श्री जिन रत्न सूरिभिः । ( 539 ) सं० १५२६ माह व० ५ बुधे श्री ओस वंशे धनेरीया गोत्रे साह माहड़ पुत्र वीका भार्या वील्हणदे पुत्रैः साह कोहा केल्हा मोकलाख्यैः स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथ विंवं का० श्री पल्लिवाल गच्छे श्री नन्न सूरिभिः प्र० । ( 540 ) सं० १५७० वर्षे माघ वदि १३ बुधे श्री पत्तन वास्तव्य मोढ़ ज्ञातीय ठ० भोजा भार्या वाली सुत • ठ० रत्नाक्रेन भार्या रूपाई सुत ठ० जसायुतेन श्री आदिनाथ विंवं कारितं स्व श्रेयोर्थ श्रीवृद्धतपा पक्ष श्री रत्न सूरि संताने श्री उदय सूरिः ॥ श्रलक्ष्मी सागर सूरीणा पह प्रतिष्ठितं श्री धन रत्न सूरिभिः श्री रस्तु । (541) सं० १६०३ वष आषाड वदि ४ गुरौ भिन्नमाल वास्तव्य म० देवसी भा० दाडिमदे पुत्र मानसिंघ भा० घेतखी युतेन स्वश्र यसे श्री वासुपूज्य विं० का० प्र० तपगच्छे भ० श्री ५ श्री विजयदेव सूरिभिः ।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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