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________________ ( १२४ ) ( 529 ) श्री सं० १९७२ मिः माघ शुक्ल : शनिवासरे रंग विजय खरतर गच्छीय जं. यु. प्र. भ० श्रोजिन कल्याण सूरि चरण पादुका कारापितं । इंद्रप्रस्थ नगर वास्तव्य समस्त श्री संघेन प्रतिष्ठितं जं य० प्र. वृ. . रंग विजय खरतर गच्छीय श्री जिनचंद्र सूरि पदा श्रिते भ० श्री जिनरत्न सूरिभिः पूज्याराधकानां मंगल मासा वृद्धितरां यायात् श्री संघस्य शुभं भूयात् ॥ श्री॥ अजमेर। यह भी प्राचीन नगर है। मुसल्मानोंके पूर्व में यहां श्री खरतर गच्छनायक महा प्रभाविक श्री जिनदत्त सूरि संवत् १२११ आषाड ११ देवलोक हुऐ। श्री गाडी पार्श्वनाथका मंदिर। पंचतीर्थीयों पर। ( 530 ) संवत् १२४२ आषाढ़ वदि-गुरौ श्री यश सूरि गच्छे श्रे० नागड सुत आसिग तत्पुत्र राल्हण थिरदेव मातृ सूहपादि पुत्रैः आसग श्रेयो) पार्श्वनाथ विवं कारापिता। ( 531 ) संवत् १४८५ वर्षे ज्येष्ठ सु० १३ उप. ज्ञातीय तातहड़ गोत्रे सा. वीकम भा. देवल दे पुत्र रेडा भा० हीमादे पुत्र सुहड़ा भा० सुहडादे पु० संसारचंद। सामंत सोभा स० श्री सुमतिनाथ विं० श्री उपकेश गच्छे ककुदाचार्य स० श्री सिंह सूरिभिः।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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