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________________ (६३) ( 382 ) ॥ संवत १९३१ माघ शुक्ने दशम्यां चंद्रवासरे श्री नमिनाथ जिनेंद्रस्य चरण पादुका। जीर्णोद्धार रूपा । अहमदावाद वास्तव्य । सेठ उमा माई हठी सिंहेन स्थापना कारापिता। पूर्णिमा विजय गच्छे भट्टारक। श्री जिन शांति सागर सूरिभिः । प्रतिष्ठितं ॥ तेजपूर (आसाम) राय मेघराजजीका मंदिर। ( 383 ) संवत १५१३ वर्षे वैशाष शुदि ७ शनी श्रीश्रीमाल ज्ञातीय श्रे० सानंद भार्या हीसू सुत पूनसीकेन मातपित श्रेयो) श्रीशीतलनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिभिः । (384 ) सं० १९४३ का मिति वैशाष शुक्ल सप्तम्यां ---- ( 35 ) सं० १९५७ वर्षे ज्ये० शु० १२ तिथौ शुक्रवासरे ॥ श्री जिन कीर्ति सूरि प्रतिष्ठितं श्री जिनदत्त सूरि नाम पादुका का। कलकत्ता श्री कुमरसिंह हल - नं० ४६ इंडियन मिरर स्ट्रीट। धातुयोंके मूर्ति पर। ( 386 ) श्रीपार्श्वनाथ विव। ब्रह्माण सत्व संयकः श्रियावे सुनः सुपुण्यक श्री द्वः (?) सीलगण सूरि भक्तस्प (?) द्रकुले कारयामास संवत १०३२
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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