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________________ (७३) ( 279 ) सं० १५१४ जलवाह ग्राम वासि ओसवाल सा० लीला भा० अमरी पुत्र सा० नाथू नाम्ना भा० चनू पुत्र इंगशादि युतेन भात उगम श्रेयसे श्री मुनि सुव्रत विवं का० प्र० श्री तपा गच्छेश श्री रत्नशेषर सूरि पुरंदरैः । 1280 ) सं० १५१७ वर्षे फा० शु० ११ सीणुरा वासि प्रा० वा. माई (?) आन बाकुंसुत समघरेण भा० राजू पुत्र वानर पर्वतादि युतेन स्व श्रेषसे श्री कुंयु विवं का० प्र० तपागच्छे श्री रत्नशेषर सूरिपदे श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः आचंद्रार्क जपतत् ॥ श्रो॥ ( 231 ) सं० १५१९ वर्षे आषाड़ वदि१ श्री मंत्रिदः श्री काणा गोत्रे सा० लाधू भार्या धर्मिणि पुत्र सं० अचल दासेन पुत्र उग्रसेन लक्ष्मीसेन सूर्यसेन बुद्धिसेन देवपाल महिराजादि यतेन स्वश्रेगो) श्री पार्श्वनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतरगच्छे श्री जिन सुन्दर सूरिपदे श्री जिन हर्प सूरिभिः। ( 282 ) __सं० १५२३ वर्षे फा०व०८ छाव गोत्रे उकेश स. सान्हा भा० कल्ह पुत्र सं-नरसिंह मा० नामलदे पुत्र सं० साधूकेन श्री यमना भातृ साहसमधर प्रमुख कुटुम्ब युनि स्व श्रेयसे श्री धर्मनाथ विं कारितं प्रतिष्ठितं श्री-रिभिः ॥ देप । तप-- श्री ॥ (283 ) सं० १५२४ वै. शु. १३ प्राग्वाट सं० आस. भा. रात सुत सा. आल्हा भा० सोनी पुत्र हासादि कुटुम्ब युतेन स्व श्रेयसे श्री वासु पूज्य विंवं कारितं प्रतिष्ठितं तपा श्री लक्ष्मी सागर सूरितिः ॥ जाणांधारा (2) वास्तव्य वासियाः ॥
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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