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________________ यंच शिधि. लिपिपत्र ५३ वां. यह लिपिपल मावलीपुरम् के अतिरणचंडेश्वर नामक गुफामंदिर के लेख', कशाकड़ि से मिल हुए पल्लव राजा मंदिवर्मन के दानपत्र और पांड्यवंशी राजा परांतक के समय के नारसिंगम के लेम्ब' से, जो गत कलियुग संवत् ३८७१ (ई.स. ७७०)का है, तय्यार किया गया है. नांदेवर्मन् के दामपत्र के अक्षरों में से इ, ख, ग, ज, न और व वर्तमान ग्रंथ लिपि के उक्त अक्षरों में कुछ कुछ मिलने हुए हैं लिपिपत्र की मूल पंक्तियों का नागरी अक्षरांतर लंकाजयाधरिसरामपराक्रमश्रीस्वृत्ताश चकुलसंक्षयधूमकेतुः वातापिनिञ्जयविल डम्मितकुम्म जम्मा वौरस्तसोनि जयि यो) नरसिंहवर्मा । तस्मादजायत निजायसवाहुदण्डस्वचाशनी रिपिकलस्य महेन्द्रवर्मा यस्मात्प्रभाभृत्यलम लिपिपत्र ५४ वां. यह लिपिपत्र पल्लवमा राजा नंदिवर्मन् ( पल्लवमल्ल ) के उदय दिरम् के दानपत्र और गंगावंशी राजा पृथ्वीपति (दस) के बहीं के दानपत्र से तय्यार किया गया है. नंदिवर्मन् के दानपत्र के अक्षरों में से अ, इ, उ, ए, ख, ग, घ, च, ज. ठ. ड. ढ, ण, न, थ, ध, प, च, भ, म, य, व, प और स वर्तमान ग्रंथ लिपि से कुछ कुछ मिलते हुए हैं. लिपिपत्र ५४वें की मूल पंक्तियों का नागरी अक्षरांतर-- श्रिी स्वस्ति सुमेरुगि[रिमूर्धनि प्रयायोगबबासनं जगत्र तोयविभूतये रविशशांकनेबद्दयमुमासहितमादरादयचन्द्रलमी(क्ष्मी प्रदम् दं) सदाशि. धमरवमामि शिरसा जटाधारिणम ॥ श्रीमान नेकरण विभुमिषु यसवाय राज्यप्रदः परहि लिपिपत्र ५५ घां यह लिपिपत्र राजा कुलोत्तुंगचोडदेव के चिदंयरम् के लेख, विक्रमचोड़ के समय के शेविलिमेह के लेख और बागवंशी राजा विक्रमादित्य दूसरे (विजयवाहु) के उदयेंदिग्म् के दानपत्र" से तय्यार किया गया है. इस लिपिपत्र में दिये हुए अक्षरों में से कई एक वर्तमान ग्रंथाक्षरों से मिलने जुलते हैं (इस लिपिपत्र को लिपिपन्न ८० में दी हुई वर्तमान ग्रंथ लिपि से मिला कर देखा ) *, ए..मि. २, पृ. १२ के पास के प्लेट से. .. सा.ई.ई: जि. २, भाम ३, प्लेट १३-१४, पनि १-११४ से . . कि.८, पृ. ३२० के पास का प्लेट, लेखसंख्या १ से. ४. ये मूल पंनियां कशाकृडि के दानपत्र से है. ५. ई. जि.स.पू. २७१ और २७६ के बीच के प्लेट, पंक्रि १-१.५ से. सा.. शि. १. भाग ३, प्लेट १६, पंक्ति १.७१ से.. • मूल पंक्तियां विधर्मन के उदयविरम् के दानपत्र से है. . . लि.५, पृ. १०४ के पास का प्लेट, हेख A से. . जि.६, पृ. २१८ के पास के प्लेट से. ... जि.३, पृ. ७६ भौर के बीच के फोटोसे. Aho! Shrutgyanam
SR No.009672
Book TitleBharatiya Prachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar H Oza
PublisherMunshiram Manoharlal Publisher's Pvt Ltd New Delhi
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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