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________________ ३६ विष्य पृष्ठ किरणोंके गुणत्वकी सिद्धि ईश्वरवादियोंके आगममें पूर्वापरविरोध ३८ श्लोक ७ समवायका खण्डन श्लोकट ४७-६६ सत्ता भिन्न पदार्थ-पूर्वपक्ष वैशेपिकोंके छह पदार्थ ज्ञान आत्माते भिन्न--पूर्वपक्ष मोक्ष ज्ञान और आनन्दरूप नहीं-पूर्वपक्ष सत्ता भिन्न पदार्थ नहीं-उत्तरपक्ष ज्ञान आत्मासे भिन्न नहीं--उत्तरपक्ष मोक्ष ज्ञान और आनन्दरूप-उत्तरपक्ष श्लोक ९ आत्माके सर्वव्यापकत्वका खंडन अवयव और प्रदेशमें भेद यात्माको शरीरपरिमाण माननेमें शंका और उसका समाधान मात्माके कथंचित् सर्वव्यापकत्वकी सिद्धि समुद्धातका लक्षण और उसके भेदोंका विस्तृत स्वरूप श्लोक १० नैयायिकोंद्वारा प्रतिपादित छल, जाति और निग्रहस्थान मोक्षके कारण नैयायिकोंके सोलह पदार्थ नैयायिकोंके प्रमाणोंके लक्षणका खंडन नैयायिकोंके बारह प्रकारके प्रमेयका खंडन छलके भेद चौबीस प्रकारकी जाति-उसका विस्तृत स्वरूप बाईस प्रकारका निग्रहस्थान-उसका विस्तृत स्वरूप श्लोक ११-१२ मीमांसकोंकी मान्यताओंपर विचार वेदनिर्दिष्ट हिंसा धर्मका कारण-पूर्वपक्षका खंडन जिनमंदिरके निर्माणमें पुण्यसंचय सांख्योंका वैदिक-हिंसाका विरोध व्यास और वेदान्तियोंका वेदविहित हिंसाका विरोध श्राद्धदोष आगमके अपौरुषेयत्वका खंडन श्लोक १२ परोक्षज्ञानवादी मीमांसक और एक ज्ञानको अन्य ज्ञानोंसे संवेद्य माननेवाले न्याय-वैशेषिकोंका खंडन ज्ञानको स्वप्रकाशक नहीं माननेवाले भट्ट मीमांसकोंका पूर्वपक्ष और उसका खंडन १०४ न्याय-वैशेषिकोंकी मान्यताका खंडन श्लोक १३ ब्रह्माद्वैतवादियों के मायावादपर विचार ११० वेदान्तियोंका पूर्वपक्ष और उसका खंडन १११ असत्ख्याति आदि ख्यातियोंका विस्तृत स्वरूप अद्वैतवादियों द्वारा प्रत्यक्ष आदि प्रमाणोंसे ब्रह्मकी सिद्धि १०७ ११४
SR No.009653
Book TitleSyadvada Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1970
Total Pages454
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size193 MB
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