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________________ क्र. शास्त्रपाठः पृष्ठ क्र. ३५५ २२ २००-२०२ १७९ (२८) साक्षिग्रन्थः [धर्मरत्नप्रकरणम्: ७८, ७९] [दशवैकालिकसूत्रम् ९-२/२] [कल्पसूत्रवृत्तिः ७] [पुष्पमाला २३१] [पुष्पमाला ४११] [उपदेशमाला १२] [लघुषड्दर्शनसमुच्चयः] [पञ्चाशकप्रकरणम् १४, १५, १७] [धर्मरत्न प्र. ३३] [उपदेशमाला ९५] [उपदेशमालावृत्तिः ९५] [चन्द्रकवेध्यक प्र. २५] [तत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् १०/१/२] [योगशास्त्रम् १६] [उपदेशमालावृत्तिः ३४] [नवतत्त्वप्रकरणम् २९] [गच्छाचार प्र. ४४] [गुरुतत्त्वविनिश्चयः १-२] २८७ २०४ |३७३-३७४ १२० ५३, ५४ ३१ ५६ एयस्स उ लिंगाई एवं धम्मस्स विणओ ५८ एवंविधाः द्वासप्ततिः ५९ एसा जिणाण आणा एसो भे परिकहिओ कइयावि जिणवरिंदा कणादस्य चाचार्यस्येदं कप्पाकप्पे परिणिट्ठियस्स कयवयकम्मो तह कारणविऊ कयाई कारणविदः कारणज्ञातारः कालन्नू देसन्नू कृत्स्नकर्मक्षयो मोक्षः कौटिल्यपटवः पापा कौशाम्ब्यां नगर्यां खंति मद्दव अज्जव गीयत्थस्स वयणेणं गुरुआणाए मुक्खो गुरुगोविंद दोनु खडे गुरुपरितोसगएणं गुरुपारतन्त्र्यमेव च गुरुपारतंत णाणं सद्दहणं गुरुभक्तेः श्रुतज्ञानं गुरुमनापृच्छ्य न गुरुं च बहुमन्नइ गुशब्दस्त्वन्धकारः स्यात् गृणाति शास्त्रार्थमिति ८३ चउरंसोऽकुंटाई चउव्विहा खलु तवसमाही चतुर्णां दुःखादीनां ३१९ १८१ ८१-८३ २०३ ५२ १४० [पुष्पमाला २५] [षोडशक प्र. १०] [पञ्चाशक प्र. ११/७, ११-२२] १५५ १०४ २६२-२६३ १५५ २३२ ११९ [पुष्पमालावृत्तिः २६] [पञ्चसूत्रम् ४] [द्वयोपनिषद् ४] [उपदेशमालावृत्तिः ७] [प्रवचनसारो० ५४३] [दशवैकालिकसूत्रम् ९/४] [षड्दर्शनसमुच्चयवृत्तिः]
SR No.009647
Book TitleDharmacharyabahumankulakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasinhsuri, Ratnabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2009
Total Pages443
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Religion
File Size179 MB
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