SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिका की तीव्र भावना; अर्जुन की वीरता, भ्रातृ-भक्ति, कर्तव्यनिष्ठा; भीम की वीरता, नीतिज्ञता, असहिष्णुता; युधिष्ठिर की नीतिज्ञता, शान्तिप्रियता, धर्मपरायणता इत्यादि का चित्रण इन संवादों के माध्यम से बहुत ही सुन्दर हुआ है। प्रथम सर्ग में ही वनेचर तथा द्रौपदी की उक्तियों का अध्ययन उपर्युक्त तथ्यों को स्पष्ट कर देता है। भाषा-भाषा पर भारवि का पूर्ण अधिकार है । भाषा पर उनके अधिकार की पराकाष्ठा का दर्शन चित्रबन्ध में होता है। यद्यपि चित्रबन्धनिबन्धन को काव्य की दृष्टि से उत्तम नहीं कहा जा सकता है, तथापि इससे यह तो स्पष्ट हो जाता है कि महाकवि का भाषा पर पूर्ण अधिकार है। भारवि माघ और श्रीहर्ष के समान दीर्घ समासों का प्रयोग नहीं करते, और सम्पूर्ण ग्रन्थ की दृष्टि से उनका काव्य विशेष रूप से अस्पष्ट या दुर्बोध नहीं है। भाषा के विषय में भारवि का आदर्श यह है विविक्तवर्णाभरणा सुखश्रुतिः प्रसादयन्ती हृदयान्यपि द्विषाम् । प्रवर्तते नाकृतपुण्यकर्मणां प्रसन्नगम्भीरपदा सरस्वती ।। १४३३ अर्थात्-शुद्ध वर्ण ही जिसके आभूषण हों, जो श्रोत्रों को आनन्द देने वाली हो, जो शत्रुओं के हृदय को भी प्रसन्न कर देने वाली हो और जो प्रसन्न तथा गम्भीर पदों से युक हो, पुण्यशाली व्यक्तियों की ही वाणी ऐसी हुआ करती है। भारवि प्रसङ्गानुकूल पदावली का प्रयोग करने में निपुण हैं। उन्होंने शृंगार के चित्रण में कोमल और दीर्घ समास रहित पदावली का प्रयोग तथा युद्ध के चित्रण में ओजस्वी तथा कठिक पदावली का प्रयोग किया है । यद्यपि कालिदास की भाँति सुश्लिट पदविन्यास से समन्वित एवं प्रसादमयी पदावली के दर्शन भारवि के काव्य में नहीं होते, तथापि अर्थगौरवमयी पदावली का इसमें बाहुल्य है। भारवि ने व्याकरण सम्वन्धी अपनी निपुणता प्रदर्शित करने के अनुराग का बुरा उदाहरण प्रस्तुत किया है और यही प्रवृत्ति भट्टि, माघ तथा श्रीहर्ष में अत्यधिक हो चली है । भटि ने तो अपना महाकाव्य अपने व्याकरण-पाण्डित्य के
SR No.009642
Book TitleKiratarjuniyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVibhar Mahakavi, Virendra Varma
PublisherJamuna Pathak Varanasi
Publication Year1978
Total Pages126
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size81 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy