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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यही है जिंदगी सात अन्ध पुरुष और हाथी का उदाहरण देकर भगवान महावीर ने वस्तु समझने की दिव्य दृष्टि दी है। सात अन्धों के सामने प्रश्न था : 'हाथी कैसा है?' सबने हाथी को स्पर्श कर अपनी-अपनी धारणा के अनुसार उत्तर दिया । एक दूसरे की... सबकी धारणाएँ भिन्न-भिन्न थीं । परन्तु विषमता वहाँ पैदा हुई कि ‘मेरी ही धारणा सही, दूसरों की गलत!' बस झगड़ने लगे सब आपस में । २९ को वैचारिक संघर्ष इस प्रकार पैदा होते हैं। दूसरों के विचारों की अपेक्षाओं का चिंतन कर सत्यासत्य का निर्णय करना चाहिए | जिनवचन यह बताता है कि किस अपेक्षा से कौन-सी बात सत्य हो सकती है! For Private And Personal Use Only निष्कर्ष यह है कि जीवन - व्यवहार में अपेक्षारहित बने रहने का प्रयत्न करें । विचारों में सापेक्ष-अपेक्षा सहित बने रहने का अभ्यास करें। विचार और व्यवहार में इस प्रकार संवादिता स्थापित हो जाय तो मानवजीवन सफल हो जाय !
SR No.009641
Book TitleYahi Hai Jindgi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages299
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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