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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra यही है जिंदगी www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१२५. प्रेम 'प्लस पाइंट' देखता है २७७ 'चेखोव' की एक अच्छी- बढ़िया कहानी है । एक स्त्री अपने पति को दूसरी स्त्री के विषय में कहती है : उस स्त्री ने एक भ्रष्ट, पापी मनुष्य के साथ शादी की... कैसी अधोगति ? उसकी जगह मैं होती और मेरा पति वैसा होता तो एक क्षण भी उसके साथ मैं नहीं रहती, उसको छोड़कर चली जाती । पत्नी की बात सुनकर पति धीरे से अपने जीवन की बात करता है कि उसने कैसे-कैसे भ्रष्टाचार किये थे, कैसे पापकार्य किये थे। पत्नी कहती रही : 'ना, ना, ऐसा तो आप करें ही नहीं... अथवा ऐसे-ऐसे संयोग में आपको वैसे काम करने पड़े होंगे...।' परंतु पति ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैंने ऐसे गलत कार्य किये ही हैं। चेखोव लिखता है : पाठक मुझे पूछेंगे - 'क्या यह सब सुनकर पत्नी पति को छोड़कर चली गई?' 'हाँ, चली गई, परंतु पास वाले कमरे में !' कितनी मर्मस्पर्शी कहानी लिखी है चेखोव ने ! मनुष्य के मन की गहराई को छूती है यह कहानी । जहाँ... जिसके प्रति प्रेम होता है, उसके दोष देखने पर भी मन दोष नहीं मानता है, दोष सुनने पर भी दोष नहीं मानता है। दोष सुनकर या देखकर वह समाधान कर लेता है मन के साथ - 'क्या करें? ऐसे संयोग में ऐसी गलती हो ही जाती है । अथवा इसमें क्या हो गया ? यह कोई गलती है क्या...?' For Private And Personal Use Only जिसके प्रति प्रेम नहीं होता है, लगाव नहीं होता है ... अरुचि या अभाव होता है... उसका छोटा-सा भी दोष देखकर या सुनकर उस दोष को बड़ा देखता है मनुष्य । दोष को 'एन्लार्ज' कर वह दुनिया के सामने रखता है। उस स्त्री को अपने पति से प्रेम था इसलिए पति स्वयं अपने दोषों को बताता है, फिर भी मानने को तैयार नहीं होती है! उन गलतियों को महत्त्व नहीं देती है। इससे उसका पतिप्रेम अखंड रहता है । क्लेश और झगड़े से वह बच जाती है। दोनों का जीवनप्रवाह अस्खलित बहता रहता है । भविष्य में प्रेम के माध्यम से वह पति के दोषों को सुधार भी सकती है।
SR No.009641
Book TitleYahi Hai Jindgi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages299
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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