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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यही है जिंदगी २२६ - उन्नति का लक्ष्य होना चाहिए, परन्तु जो उन्नत है, उनसे तुलना नहीं करनी चाहिए। - जो अवनति में गिरे हैं उनके प्रति तिरस्कार की भावना नहीं होनी चाहिए, परन्तु उनके उद्धार की भावना होनी चाहिए | ___- अपने से ज्यादा उन्नतों की ओर हीन भावना से नहीं देखना है, प्रेम से देखना है। ईर्ष्या से बचना है। 'अपने में भी दूसरों से बड़ी कोई विशेषता है' - वह ढूँढना है। ऐसी कोई कला, ऐसी कोई बाह्य-आन्तरिक शक्ति, ऐसी किसी विशिष्ट कार्यदक्षता को पाकर अपनी 'विशेषता' को स्थापित करना है। - चन्द्र की अपनी विशेषता है शीतलता प्रदान करना, तो सूर्य की अपनी विशेषता है प्रकाश देना । बादलों की अपनी विशेषता है पानी देना, तो पानी की अपनी विशेषता है जीवन देना। ___ - पहाड़ वृक्षों से ईर्ष्या नहीं करते, वृक्ष पहाड़ों का तिरस्कार नहीं करते। सब अपनी-अपनी विशेषता लिये जीते हैं। ___- कोयल की अपनी विशेषता है, मयूर की अपनी विशेषता है। - जो मनुष्य अपने में कोई विशेषता नहीं पाता है, दूसरों की विशेषता देखकर खुश नहीं हो सकता है। वह ईर्ष्या... निराशा... निंदा... वगैरह दोषों का शिकार हो जाता है। - जो मनुष्य अपनी विशेषता को उभारने के लिए दूसरों की विशेषताओं की मजाक उड़ाता है, अवहेलना करता है, वह अपनी विशेषता का अवमूल्यन करता है। - वे दोनों सूर्य की किरणें थीं। एक किरण पड़ी कीचड़ में, दूसरी पड़ी एक पुष्प में। पुष्प की किरण ने दूसरी किरण को कहा : 'जरा दूर रहना, छूकर मुझे भी अपवित्र मत करना।' दूसरी किरण बोली : 'बहन, हम इस कीचड़ को सुखाएँ नहीं, साफ न करें, तो इस फूल की रक्षा कैसे होगी?' पुष्प की किरण लज्जित हो गई। - कीचड़ की किरण की विशेषता को पुष्प की किरण समझ नहीं पायी थी, इसलिए उसको लज्जित होना पड़ा। For Private And Personal Use Only
SR No.009641
Book TitleYahi Hai Jindgi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages299
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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