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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चेतन, कोई भी कर्म बाँधने के बाद तूर्त ही उदय में नहीं आता है। कर्म बाँधने के बाद, कर्म कुछ वर्ष शांत पड़ा रहता है। इसको 'अबाधाकाल' कहते हैं। 'अबाधाकाल' हर कर्म का अलग-अलग होता है। 'अबाधाकाल' पूर्ण होने पर कर्म उदय में आता है, यानी अपना प्रभाव बताता है। अपना फल देता है। जैसे, वृक्ष बोने के बाद तूर्त फल नहीं देता है। कुछ समय, कुछ वर्ष, बीतने के बाद वह फल देता है। श्रमण भगवान महावीर स्वामी की आत्मा ने मरिची के भव में जब इस भारत में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव विचरते थे, अपने कुल का गर्व कर के 'नीचगोत्र कर्म' बाँधा था, वह कर्म उदय में आया भगवान महावीर के अंतिम भव में! बीच में असंख्य वर्ष वह कर्म शांत पड़ा रहा! उतना असंख्य वर्षों का 'अबाधाकाल' भी हो सकता है। चेतन, 'अबाधाकाल' की प्रासंगिक बात बता दी। प्रस्तुत है दानांतराय कर्म की बात। संभव है, तेरे मन में प्रश्न पैदा हो कि 'दानांतराय कर्म के उदय से मनुष्य दान नहीं दे सकता है, इससे नुकसान क्या होता है मनुष्य को? उसके तो रुपये बचते हैं! लाभ होता है न? अज्ञान दृष्टि से लाभ दिखता है, तात्त्विक ज्ञानदृष्टि से नुकसान होता है। दानधर्म नहीं करने से वह पुण्योपार्जन नहीं कर सकता है। यानी दान देने से जो पुण्य कर्म का उपार्जन होता है, वह नहीं कर पाता है। दूसरा नुकसान होता है गाढ़ आसक्ति का। धन-दौलत पर उस मनुष्य की आसक्ति ज्यादा होती है। आसक्ति जीव का पतन करती है। तू तेरे चाचा-चाची को पूछना, उनको अपनी संपत्ति के ऊपर ममत्व और आसक्ति है या नहीं। अलबत्ता, 'आसक्ति' राग है, 'ममत्व' राग है और राग 'मोहनीय कर्म' का प्रकार है, परंतु एक कर्म के साथ दूसरे अनेक कर्म जुड़े हुए होते हैं। यह राग, संपत्ति का प्रगाढ़ राग, जीव को दुर्गति में ले जाता है। बेचारा मम्मण सेठ इसलिए तो नरक में गया! ___ ये सारे नुकसान हैं दानांतराय कर्म के । क्या कम नुकसान हैं ये? दान नहीं देने से जो रुपये बचते हैं, वे रुपये उसके क्या काम आते हैं? मात्र संग्रह! अथवा For Private And Personal Use Only
SR No.009640
Book TitleSamadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2004
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size1 MB
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