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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चेतन, कुछ लोग कहते हैं कि मृत्यु और जन्म के बीच जीवों को भटकना पड़ता है... दूसरी गति में जल्दी जन्म नहीं होता है। वगैरह बातें चलती है। मानना नहीं है ऐसी बातों को! मृत्यु और जन्म के बीच ज्यादा से ज्यादा ४ या ५ 'समय' लगते हैं। चेतन, 'समय' जिनागमों का पारिभाषिक शब्द है। काल का सूक्ष्मतम भाग को 'समय' कहा गया है। जिस प्रकार दुनिया के व्यवहार में 'सेकंड' काल का सूक्ष्म भाग कहा गया है। परंतु वैज्ञानिकों की प्रयोगशाला में एक सेकंड के भी हजारों टुकड़े किए गए हैं और सूक्ष्मतम भाग खोज निकाला है। परंतु वे लोग 'समय' तक नहीं पहुंच पाए हैं। 'समय' को समझाने के लिए ज्ञानी पुरुषों ने कुछ उदाहरण दिएं हैं ताकि सामान्य बुद्धिवाला मनुष्य भी 'समय' का काल नाप समझ सके। एक उदाहरण यह है: एक के ऊपर एक, ऐसे सौ दो सौ कमलपत्र रखे जायं और उसके ऊपर शक्तिशाली पुरुष भाले का प्रहार कर, सभी कमलपत्रों को बिंध डाले - इतनी क्रिया में असंख्य समय बीत जाते हैं! दूसरा उदाहरणः जीर्ण वस्त्र हो और शक्तिशाली पुरुष हो, वह पुरुष उस वस्त्र के दो टुकड़े कर देता है, उसमें असंख्य समय बीत जाते हैं! 'समय' काल का सूक्ष्मतम विभाग है। समय के दो टुकड़े केवलज्ञानी की दृष्टि से भी होते नहीं है। एक गति में से दूसरी गति में जाती हुई आत्मा को ज्यादा से ज्यादा ४/५ समय ही लगते हैं! चेतन, कितनी तीव्रगति से आकाश-पथ में जीवों का गमनागमन होता है! प्रतिक्षण, चार गति में असंख्य-अनंत जीवों का जन्म-मृत्यु होता रहता है! आकाशमार्गो पर भारी भीड़ होती है जीवों की! फिर भी कोई अकस्मात वहाँ नहीं होता है, कोई जीव भूला नहीं पड़ता है! अपने गंतव्य स्थान पर पहुँच ही जाते हैं! निश्चित समय में पहुँच जाते हैं। कभी कोई जीव को देरी नहीं होती है। चेतन, कर्मों की, इस अनंत सृष्टि में कैसी परिपूर्ण व्यवस्था है? सब 'ओटोमेटिक' स्वचालित चलता है। कोई ईश्वर की जरुरत नहीं है विश्व संचालन के लिए! कोई 'ओपरेटर' नहीं चाहिए! सब कुछ स्वसंचालित है! सभी जीवों के अपनेअपने 'कर्म' होते हैं! १८८ For Private And Personal Use Only
SR No.009640
Book TitleSamadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2004
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size1 MB
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