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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्र: 10 प्रिय चेतन, धर्मलाभ, तेरा पत्र मिला, आनंद हुआ। तेरा नया प्रश्न'वर्ण, गंध, रस और स्पर्श के विषय में मुझे विस्तृत पत्र लिखेंगे तो मुझे आनंद होगा। मनुष्य के जीवन के साथ इन चार बातों का घनिष्ठ संबंध रहा हुआ है। इन बातों को लेकर किसी मनुष्य का दांपत्यजीवन बिगड़ता है, तो किसी का दांपत्यजीवन सुखमय हो जाता है! यदि मनुष्य इतना समझ ले कि ये वर्ण, गंध आदि जीव के बँधे हुए कर्मों का फल है, तो दांपत्य जीवन में रागद्वेष कम हो सकते हैं, इसलिए कृपा कर, इस विषय को विस्तार से समझाइये।' चेतन, तेरी बात सही है! मैंने ऐसी कुछ घटनाएँ सुनी हैं, और पढ़ी हैं, रूप, गंध, रस और स्पर्श को लेकर कुछ गृहस्थ जीवन बिगड़े हैं, कुछ सुखी बने हैं। एक वकील थे, उन्होंने अपनी सुशील पत्नी का त्याग कर दिया था, चूंकि उसके शरीर का रंग काला था। एक श्रीमंत घर के लड़के ने मुसलमान लड़की से 'लव मेरेज' कर लिया था। चूँकि वह लड़की गोरी थी। कुछ महीनों में मालूम हुआ कि उस लड़की का दूसरे तीन-चार पुरुषों के साथ संबंध हैं... उसके पति ने लग्न विच्छेद कर दिया! ___ एक महिला ने अपने पति का घर छोड़ दिया, चूंकि उसके पति का शरीर सदैव शीत रहता था! वह महिला पति का उष्ण स्पर्श चाहती थी। एक विद्यार्थी की बेंच पर दूसरे विद्यार्थी इसलिए बैठना पसंद नहीं करते थे, क्योंकि उस विद्यार्थी के शरीर में से दुर्गंध आती थी! वह स्नान कर, स्वच्छ-सुंदर वस्त्र पहन कर आता था, मेधावी था... फिर भी उसके शरीर में से दुर्गंध आती थी। दूसरे लड़के उससे घृणा करते थे। एक दिन उस लड़के ने पढ़ना छोड़ दिया। एक काले श्याम रंग की लड़की की सगाई नहीं हो रही थी। परंतु उस लड़की के साथ पढ़े हुए लड़के ने उसके साथ शादी कर ली! चूंकि उस लड़की १७० For Private And Personal Use Only
SR No.009640
Book TitleSamadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2004
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size1 MB
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