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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - जो ज्ञान भंडार हैं, उनको व्यवस्थित और सुरक्षित रखो। - ज्ञान भक्त महापुरुषों के जीवनचरित्र पढ़ते रहो। ० महामंत्री (मालव देश) पेथड शाह ने आचार्य श्री धर्मघोषसूरीश्वरजी से आचारादि ग्यारह अंग विनय से सुने थे। 'व्याख्या प्रज्ञप्ति' (भगवती सूत्र) सुनते समय जब जब ‘गौतम' शब्द आता, तब एक-एक स्वर्णमुद्रा से ज्ञानपूजा करते थे। छत्तीस हजार स्वर्णमुद्राओं से श्रुतभक्ति की थी। ० गुजरात के महामंत्री वस्तुपाल ने अट्ठारह करोड़ रुपये खर्च कर, तीन बड़े ज्ञान भंडार बनवाए थे। एक पाटन में, एक खंभात में और एक धोलका में। ० आभु संघवी नाम के उदार श्रावक ने तीन करोड़ रुपये खर्च कर ९१ अंगशास्त्र स्वर्ण की स्याही और शेष आगम स्याही से लिखवाए थे। ० गुजरात का राजा कुमारपाल परम श्रुतभक्त था। उसने आगम-ग्रंथों के ३६ हजार श्लोक स्वर्ण की शाही से लिखवाए थे। श्री हेमचन्द्रसूरिजी ने जो भी संस्कृत-प्राकृत भाषा में साहित्य की रचना की थी, कुमारपाल ने उस साहित्य की अनेक प्रतियाँ लिखवाई थी। इक्कीस बड़े ज्ञान भंडार बनवाए थे। हेमचन्द्रसूरिजी के साहित्य सर्जन के महान कार्य में राजा कुमारपाल पूर्णरूपेण सहयोगी बने थे। ० सत्तर वर्ष की उम्र में कुमारपाल, 'सिद्धहेम' नाम का संस्कृत व्याकरण पढ़े थे। उन्होंने संस्कृत भाषा में काव्य रचनाएँ की थी। ० रोज परमात्म भक्ति के बत्तीस अध्यायों का स्वाध्याय करने के बाद ही वे अपने बत्तीस दाँतों को साफ करते थे! यानी दंतधावन करते थे। ० महान श्रुतधर आचार्य श्री हरिभद्रसूरिजी ने अपने जीवन काल में १४४४ ग्रंथों की रचना की थी। 'लल्लिग' श्रावक ने पूर्ण रूपेण हरिभद्रसूरिजी की साहित्यरचना में सहयोग दिया था। चेतन, ज्ञान ऐसा पाना है कि जो हमें प्रकाश की ओर ले जायं। जो हमें परमात्मा की ओर ले जायं। अंग्रेज कवि टी. एस. इलियट ने एक जगह लिखा है - 'हम जो ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं वह मात्र चलने का ज्ञान है, रुकने का और सोचने का नहीं है। बोलने का ज्ञान पा रहे हैं, मौन रहने का नहीं। हमारा यह ११९ For Private And Personal Use Only
SR No.009640
Book TitleSamadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2004
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size1 MB
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